Medical College Corruption India : MBBS की मान्यता के नाम पर मेडिकल माफिया एक्सपोज़…संत, डॉक्टर, मंत्रालय अफसर और ‘गुरुजी’ तक…CBI ने 36 को बनाया आरोपी…

रायपुर, 3 जुलाई| Medical College Corruption India : देश के मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा मान्यता घोटाला सामने आया है। श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSAR) से शुरू हुआ यह मामला अब एक राष्ट्रीय स्तर का संगठित मेडिकल माफिया नेटवर्क साबित हो रहा है। सीबीआई ने कुल 36 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें डॉक्टर, संस्थानों के चेयरमैन, मंत्रालय के अधिकारी, निजी संस्थाएं और यहां तक कि एक स्वयंभू ‘गुरुजी’ भी शामिल हैं।
पैसे लेकर मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के खेल में CBI की चार्जशीट ने मेडिकल शिक्षा की साख को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले की तह में जाएं तो पता चलता है कि सिर्फ एक कॉलेज नहीं, बल्कि देशभर के कई मेडिकल कॉलेज और संस्थान इस ‘मेडिकल सिंडिकेट’ का हिस्सा रहे हैं।
मुख्य आरोपी कौन?
श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन रविशंकर जी महाराज
डायरेक्टर अतुल कुमार तिवारी
एकाउंटेंट लक्ष्मीनारायण चंद्राकर
एनएमसी निरीक्षक टीम के सदस्य डॉक्टर
स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्चाधिकारी
फर्जी रिपोर्ट देने वाले मेडिकल एक्सपर्ट
टेक फर्म से जुड़े आईटी विशेषज्ञ
अन्य राज्यों के कई मेडिकल कॉलेज संचालक
क्या है पूरा घोटाला?
घोटाला मेडिकल काउंसिल के निरीक्षण, अप्रूवल और मान्यता प्रक्रिया में भ्रष्टाचार से जुड़ा है। मान्यता पाने के लिए कई कॉलेजों ने करोड़ों रुपये की रिश्वत दी। फर्जी फैकल्टी, झूठे मरीजों और नकली इंफ्रास्ट्रक्चर दिखाकर मंजूरी हासिल की गई। CBI के अनुसार, इस रैकेट में मंत्रालय के कुछ अफसरों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
CBI की सबसे बड़ी कार्रवाई में ये नाम सामने आए:
टाटा इंस्टीट्यूट मुंबई के चांसलर डीपी सिंह
गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर के रजिस्ट्रार मयूर रावल
फादर कोलंबो मेडिकल कॉलेज, वारंगल
गायत्री मेडिकल कॉलेज, विशाखापत्तनम
स्वामीनारायण आयुर्विज्ञान संस्थान, गांधीनगर
इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, इंदौर
NCR मेडिकल इंस्टीट्यूट, मेरठ
‘गुरुजी’ इन्द्रबली मिश्र, वाराणसी
अभी और खुलासे संभव:
सीबीआई की जांच में कुछ अन्य मंत्रालय अधिकारियों और अज्ञात लोक सेवकों की भूमिका भी उजागर हो रही है। वहीं, इस घोटाले की आंच अब स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्रालय दोनों तक पहुंच चुकी है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
मेडिकल एथिक्स विशेषज्ञों के अनुसार, यह मामला सिर्फ रिश्वत का नहीं बल्कि मेडिकल पेशे की गरिमा को कुचलने का है। फर्जी मान्यता पाए डॉक्टर यदि सिस्टम में आ गए, तो इसका असर पूरे समाज पर पड़ेगा।