MBBS Seats Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में एमबीबीएस की 200 सीटें बढ़ीं, तीसरे चरण की काउंसिलिंग शुरू

MBBS Seats Chhattisgarh

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MBBS Seats Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा विस्तार देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने राज्य में एमबीबीएस की कुल सीटों में 200 सीटों की वृद्धि की है। इस फैसले से प्रदेश के युवाओं को न केवल बेहतर अवसर मिलेंगे, बल्कि मेडिकल शिक्षा के बुनियादी ढांचे को भी नई दिशा मिलेगी।

नए शैक्षणिक सत्र में रावतपुरा मेडिकल कॉलेज को 100 सीटों की मान्यता मिली है, जबकि शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज की सीटें 150 से बढ़ाकर 250 कर दी गई हैं। यानी केवल इन दो संस्थानों में ही 200 नई सीटें जोड़ी गई हैं। इस बढ़ोतरी के बाद प्रदेश में एमबीबीएस की कुल सीटों की संख्या 2200 से अधिक हो गई है, जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है।

मेडिकल शिक्षा में नई दिशा

रावतपुरा मेडिकल कॉलेज को राज्य सरकार और नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) से स्वीकृति मिलने के बाद अब 100 नए विद्यार्थियों को प्रवेश का अवसर मिलेगा। वहीं, शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज में दो चरणों में 50-50 सीटों की बढ़ोतरी के बाद यह कॉलेज अब प्रदेश के सबसे बड़े निजी मेडिकल (MBBS Seats Chhattisgarh) संस्थानों में शामिल हो गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस फैसले से राज्य में मेडिकल शिक्षा की पहुंच बढ़ेगी और ग्रामीण व पिछड़े इलाकों से आने वाले छात्रों को भी गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण मिल सकेगा।

तीसरे चरण की काउंसिलिंग जारी

राज्य में एमबीबीएस प्रवेश के लिए तीसरे चरण की काउंसिलिंग शुरू हो गई है। विभागीय जानकारी के अनुसार, राज्य कोटे की सभी सीटों पर पहले दो चरणों में प्रवेश की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। अब तीसरे चरण में वे सभी उम्मीदवार शामिल हो सकते हैं जो पहले दो चरणों में चयनित नहीं हुए या जिन्होंने अपनी सीट छोड़ दी थी।

डीएमई यूएस पैकरा ने बताया कि उम्मीदवारों को अपने सभी आवश्यक दस्तावेज और प्रमाणपत्रों के साथ काउंसिलिंग में उपस्थित होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इस बार काउंसिलिंग प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और डिजिटल (MBBS Seats Chhattisgarh) माध्यम से संचालित किया जा रहा है ताकि छात्रों को सहज अनुभव मिल सके।

छात्रों और अभिभावकों के लिए राहत

एमबीबीएस की नई सीटें और काउंसिलिंग की सुव्यवस्थित प्रक्रिया ने छात्रों और अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। पिछले कुछ वर्षों में सीमित सीटों के कारण कई योग्य छात्र राज्य से बाहर मेडिकल कॉलेजों में जाने को मजबूर होते थे। अब बढ़ी हुई सीटों और बेहतर गाइडेंस से यह समस्या काफी हद तक समाप्त हो गई है।