Marwahi by-election : मरवाही के नतीजे से बनेंगे नए समीकरण
बिलासपुर। Marwahi by-election : मरवाही विधानसभा के लिए उपचुनाव आज सम्पन्न हो गया ।70 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने मतदान किया है । ज्यादा वोटिंग का अर्थ लोग अपनी अपनी सुविधा के अनुसार लगा रहे है ।
भूपेश बघेल सरकार का पूरा मंत्रिमंडल ,50 से अधिक विधायक और कांग्रेस संगठन के प्रदेश से लेकर ब्लाक स्तर तक के पदाधिकारियों ने मरवाही में चुनाव जीतने पसीना बहाया है और उतना ही पसीना भाजपा के तमाम नेताओ व पदाधिकारियों ने बहाकर रात दिन एक किया है ।अब मरवाही की जनता किसके सर पर सत्ता का ताज पहनाएगी यह 10 नवम्बर को पता चल जाएगा ।
मरवाही (Marwahi by-election) में मतदान सम्पन्न होने के बाद नतीजे के लिए एक सप्ताह का इंतजार तो करना ही पड़ेगा मगर मतदान समाप्त होते ही जीत का दावा करने का सिलसिला 10 नवम्बर को समाप्त हो जाएगा। जोगी परिवार के बिना मरवाही की सत्ता किसके हाथो में सौंपी जाए यह यह यक्ष प्रश्न मरवाही के मतदाताओं के समक्ष मुंह बाए खड़ी थी मगर उन्होंने आज फैसला कर दिया कि उनके हितैषी कौन प्रत्याशी और पार्टी हो सकता है ।
प्रदेश में 15 साल भाजपा की सरकार रही और इस दौरान अनेक उपचुनाव हुए जिसे भाजपा ने जीता सिर्फ कोटा उपचुनाव (Marwahi by-election) को छोड़ कर ।सत्ता में रहते हुए उपचुनाव कैसे जीता जाता है।
यह कांग्रेस ने भाजपा से अच्छी तरह सीख लिया है और भाजपा के चुनाव जीतने के स्टाइल और तौर तरीके से ही सत्तारूढ कांग्रेस ने मरवाही में चुनाव लडा है और यदि मरवाही चुनाव कांग्रेस के पक्ष में नहीं आता है तो इसका यही अर्थ होगा कि कांग्रेस के चुनाव जीतने में कुछ चूक रह गई है ।
पिछले 15 सालो के उप चुनाव और मरवाही के उपचुनाव में एक बड़ा अंतर यही रहा है कि पिछले चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला होता था मगर मरवाही में जोगी परिवार के चुनाव में नहीं रहने के बाद भी कांग्रेस को जोगी परिवार के विरोध का सामना करना पड़ा ।
रही सही कसर मतदान (Marwahi by-election) के 72 घंटे पहले उस समय पूरी हो गई जब जोगी कांग्रेस ने भाजपा को समर्थन करने का फैसला कर 15 साल से बन्द पत्तो को सार्वजनिक कर दिया इसका असर ऐसा नहीं है कि जोगी कांग्रेस के सारे वोटर भाजपा के पक्ष में चले जायेंगे बल्कि उल्टी प्रतिक्रिया के स्वरूप बहुत से मतदाता जोगी कांग्रेस से छिटक भी सकते है तो अनेक मतदाता भाजपा को वोट कर सकते है यानी जोगी कांग्रेस का वोट डिवाइड हो सकता है ।
जोगी कांग्रेस और खासकर अजीत जोगी से दिल से जुड़े मतदाताओं ने यह भी विचार तो किया ही होगा कि अजीत जोगी ने जीते जी कभी भी सीधे तौर पर और सार्वजनिक रूप से भाजपा को वोट देने की अपील नहीं की है ।
भले ही कांग्रेस की गुटीय राजनीति के चलते कई स्थानों में कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी खड़ा कर कांग्रेस प्रत्याशी को हराने ने अपना योगदान दिया हो लेकिन अमित जोगी ने भाजपा का समर्थन कर न केवल अपने पिता अजीत होगी के लाइन से हटकर निर्णय लिया है बल्कि पूरी पार्टी को दांव पर लगा दिया है ।
उनके दो विधायको ने अमित जोगी के निर्णय के खिलाफ जाकर कांग्रेस को समर्थन का ऐलान कर जोगी कांग्रेस के अस्तित्व पर अंतिम कील ठोकने का काम कर दिया है । सवाल यह उठता है कि मरवाही चुनाव में भाजपा को अपने जीत पर भरोसा नहीं था जो उसे चुनाव के अंतिम चरण में अमित जोगी का समर्थन लेने विवश होना पड़ा ?
इसका तो यही अर्थ है कि भाजपा जोगी कांग्रेस और अमित जोगी के सहारे चुनाव की वैतरणी पार करना चाहती है । यदि भाजपा मरवाही (Marwahi by-election) का उपचुनाव जीत जाती है तो फिर अमित जोगी की भाजपा में क्या भूमिका रहेगी यह सवाल तो उठते ही रहेगा क्योंकि अमित जोगी और भाजपा में जीत का श्रेय किसे दिया जाए इस पर भी सवाल होगा ।
अब बात करें कांग्रेस की तो 2 साल से सत्ता में काबिज भूपेश बघेल की सरकार ने चुनाव जीतने सारे जतन किए है ।साधन सम्पन्न और सत्तारूढ़ पार्टी को साधन विहीन हो चुकी भाजपा किस हद तक मुकाबला कर पाई यह 10 नवम्बर को पता चलेगा ।
नए जिले का निर्माण और अरबों रुपए के विकास की घोषणा के बाद भी मरवाही के मतदाता भाजपा के पक्ष में भला कैसे वोटिंग कर सकते है और यदि किए होंगे तो यह न केवल चमत्कार बल्कि भूपेश सरकार के विरुद्ध जनादेश माना जाएगा।