Marine Fossils : 28 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवाश्म को एशिया का सबसे बड़ा फॉसिल्स हैरिटेज साइट बनाने में फंड का रोड़ा
मनेन्द्रगढ़/यशवंत राजवाड़े/नवप्रदेश। Marine Fossils : अविभाजित कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ शहर में हसदेव नदी तट पर 28 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवाश्म को एशिया का सबसे बड़ा फॉसिल्स हैरिटेज साइट बनाने आठ करोड़ खर्च करने का प्रोजेक्ट वन विभाग ने बनाया है, लेकिन फ़ारेस्ट और राज्य सरकार के पास बजट नहीं है। जिससे अब सिर्फ एसइसीएल के सीएसआर से मिलने वाली राशि से ही विकास करा पाएंगे। वहीं जिस स्थान को संरक्षित करना है।
वहां वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जुगाड़ की तकनीक से कार्य कराने में जुट गए हैं। जानकारी अनुसार छत्तीसगढ़ में एशिया का सबसे बड़ा फ़ासिल्सहैरिटेज साइट मनेंद्रगढ़ में प्रस्तावित है, जो भारत का पांचवां और प्रदेश का पहला समुद्री जीवाश्म पार्क है। फ़ारेस्ट और राज्य सरकार के पास बजट नहीं होने के कारण अब के सीएसआर मद के भरोसे संवारेगा। बायो डायवर्सिटी बोर्ड रायपुर ने करीब एक किमी एरिया को तार से घेरकर प्रदेश का पहला समुद्री जीवाश्म पार्क की जांच कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी।
साथ ही जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, वीरबल साहनी इस्टीट्यूट लखनऊ से सर्वे कराने सिफ ारिश की थी। जिससे वैज्ञानिकों की टीम ने जायजा लिया और गोंड़वाना मैरीन फ़ासिल्स पार्क को विकसित करने सुझाव सौंपी थी। मामले में साइट का आधारशिला रखवाने के बाद फ़ारेस्ट ने आठ करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया है। जिससे मुख्य द्वार, बाउंड्रीवाल, इंटरप्रिटेशन सेंटर सहित अन्य निर्माण कार्य कराए जाएंगे।
जांच के लिए पहुंची थी विशेषज्ञ टीम
41 वर्ष पहले जियोलॉजिकल सर्वें ऑफ इंडिया की नेशनल जियोलॉजिकल मोनूमेंट्स में शामिल हुआ था। जहां प्रदेश के मनेन्द्रगढ़ वनमंडल में हसदेव नदी तट पर समुद्री जीवों के जीवाश्म मिलने के कुछ निशान-चिह्न को ढूंढा गया था। मामले में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोबॉटनी लखनऊ से सलाह ली गई थी। इंस्टीट्यूट ने विशेषज्ञ टीम जांच करने भेजी थी। टीम की जांच में करोड़ों साल पुराने समुद्री जीवाश्म होने की पुष्टि और एरिया को जियो हैरिटेज सेंटर के रूप में विकसित करने सलाह दी थी। वहीं जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने वर्ष 1982 में नेशनल जियोलॉजिकल मोनूमेंट्स में शामिल कर लिया है।
जियोलॉजिकल टाइम स्कैल में 29.8 से 25.5 करोड़ साल पहले के जीवाश्म होने की पुष्टि की गई है। मनेंद्रगढ़ के फ़ासिल्स को गोंडवाना सुपर ग्रुप चट्टान की श्रेणी में रखा गया है। फ़ासिल्स पार्क वाले क्षेत्र को घेर प्रस्तावित पार्क हसदेव व हसिया नदी के संगम पर एक किलोमीटर क्षेत्र में विकसित करने का निर्णय लिया गया था।वर्तमान में भारत में चार फ़ासिल्स पार्क हैं जो कि खेमगांव सिक्किम, राजहरा झारखण्ड, सुबांसरी अरुणाचल प्रदेश व दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल में है। छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ में यह पांचवा है जिस दृष्टि से इसे सुरक्षित रखना भी अनिवार्य है।
अब इसमें भी सेंधमारी की कोशिश
एक और जहां इस चिन्हित स्थान के एक निर्धारित दूरी तक खोदाई (Marine Fossils) नहीं करना है फिर भी वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी संरक्षित स्थान में ही लगे पत्थरों को खोद कर उसी स्थान में तोडफ़ोड़ कर सीडी बनवा चुके हैं। कुछ जगहों पर पत्थर निकालने की होड़ में गड्ढे कर दिए। अब अधिकारी पूर्व रिटायर्ड अधिकारी प्रभारी रेंजर हीरा लाल सेन की गलती बताकर कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं। जबकि पूर्व अधिकारी द्वारा इन पत्थरों के बिल लगाकर शासकीय राशि आहरण करने की सुगबुगाहट है। जबकि पत्थर खोदाई संरक्षित स्थान से की गई जिससे कहीं न कहीं जुगाड़ की तकनीक से गोलमाल होने की आशंका है।
वर्सन
मैरीन फ़ासिल्स पार्क को संरक्षित करने आठ करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया गया है। बजट नहीं मिला है। फि लहाल एसइसीएल सीएसआर मद से मिलने वाली राशि खर्च की जाएगी। जिसमें मुख्य द्वार, बाउंड्रीवाल, इंटरप्रिटेशन सेंटर सहित अन्य निर्माण कार्य प्रस्तावित है।
लोकनाथ पटेल, डीएफओ