Maoist Violence Victims : माओवादी हिंसा के जख्म ताज़ा…पीड़ितों ने उपराष्ट्रपति पद के विपक्षी उम्मीदवार पर उठाए सवाल…

Maoist Violence Victims : माओवादी हिंसा के जख्म ताज़ा…पीड़ितों ने उपराष्ट्रपति पद के विपक्षी उम्मीदवार पर उठाए सवाल…

Maoist Violence Victims

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Maoist Violence Victims : छत्तीसगढ़ की माओवादी हिंसा से पीड़ित परिवारों ने उपराष्ट्रपति पद के विपक्षी उम्मीदवार जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। बस्तर क्षेत्र के कई पीड़ितों ने सांसदों को लिखे पत्र में कहा कि “एक ऐसा व्यक्ति, जिसकी वजह से सलवा जुडूम समाप्त हुआ और माओवादियों का आतंक बढ़ा, उसे देश का उपराष्ट्रपति बनाना आदिवासियों के साथ अन्याय होगा।”

उत्तर बस्तर के कांकेर जिले के चारगांव के पूर्व उप-सरपंच सियाराम रामटेके ने अपने दर्दनाक अनुभव साझा करते हुए कहा कि सलवा जुडूम आदिवासियों का आत्मरक्षात्मक आंदोलन था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इसके प्रतिबंधित होने के बाद माओवादियों ने निर्दोष ग्रामीणों को बेरहमी से निशाना बनाया।

रामटेके ने बताया कि उन्हें खुद माओवादी हमले(Maoist Violence Victims) में गोलियां लगीं और मृत समझकर छोड़ दिया गया था। उनका कहना है “हमने अपनी जानें गंवाईं, अपने परिवार खोए, लेकिन अब वही फैसले लेने वाले व्यक्ति को संवैधानिक पद पर बैठाना हमारे घावों पर नमक छिड़कने जैसा होगा।”

सुकमा के भीमापुरम के अशोक गन्दामी ने अपनी भतीजी मड़कम सुक्की की कहानी सुनाई, जिसके पिता माओवादियों के हमले में मारे गए और बाद में आईईडी विस्फोट में उसका एक पैर चला गया। गन्दामी का आरोप है कि सलवा जुडूम पर रोक ने माओवादियों को खुला मैदान दे दिया और आदिवासी सबसे बड़े शिकार बने।

पीड़ितों के इन बयानों से राजनीतिक हलकों में गर्माहट बढ़ गई है। एक तरफ न्यायपालिका की स्वतंत्रता की चर्चा हो रही है, वहीं दूसरी तरफ हिंसा(Maoist Violence Victims) झेल चुके लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या संवैधानिक पद पर बैठने वाले व्यक्तियों को अपने पुराने फैसलों की सामाजिक जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। यह विवाद अब केवल चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि न्याय और पीड़ा के बीच टकराव की कहानी बन गया है।

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