Maoist Surrender Gadchiroli : आत्मसमर्पण करने वाले भूपति की अपील, संघर्ष का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में लौटें नक्सली

Maoist Surrender Gadchiroli

Maoist Surrender Gadchiroli

गढ़चिरौली पुलिस के सामने 14 अक्टूबर को आत्मसमर्पण करने वाले शीर्ष माओवादी मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने अपने सक्रिय साथियों से अपील की है कि वे हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हों और आमजन के बीच काम करें। यह अपील भूपति ने एक वीडियो संदेश के ज़रिए की है, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

भूपति ने कहा कि जो माओवादी अब भी संघर्ष के रास्ते पर हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि लोगों के खिलाफ हिंसा से कुछ हासिल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन (Maoist Surrender Gadchiroli) अब अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है और इसे त्यागकर देश की प्रगति में भागीदारी ही सही रास्ता है।

वीडियो संदेश में दी आत्मसमर्पण की प्रेरणा

भूपति ने अपने और साथी रूपेश के मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किए हैं, ताकि वे माओवादी जो इस प्रतिबंधित आंदोलन को छोड़ना चाहते हैं, उनसे संपर्क कर सकें। उन्होंने कहा, “सक्रिय माओवादी को हिंसा का मार्ग छोड़कर आत्मसमर्पण करना चाहिए और लोगों के बीच काम करना चाहिए।”

भूपति, जो माओवादी पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के सदस्य, केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो के सचिव और सीपीआई (माओवादी) के प्रवक्ता रहे हैं, ने आरोप लगाया कि संगठन की केंद्रीय समिति अब भी सशस्त्र संघर्ष छोड़ने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को गद्दार कह रहे हैं, वे संगठन के भीतर भ्रम और डर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

हिंसा ने हमें लोगों से दूर कर दिया

भूपति ने कहा कि सत्ता और भूमि के लिए सशस्त्र संघर्ष में शामिल साथियों को समझना चाहिए कि उनकी कारगुजारियों ने उन्हें आम लोगों से दूर कर दिया है। उन्होंने कहा, “लोग अब माओवादियों से डरने लगे हैं, वे समर्थन नहीं कर रहे। यह इस आंदोलन की विफलता का संकेत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो साथी (Maoist Surrender Gadchiroli) आत्मसमर्पण कर चुके हैं, वे अब समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास कार्यों के माध्यम से असली बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।

पीपुल्स वार ग्रुप के संस्थापक सदस्य रहे हैं भूपति

भूपति, जो प्रतिबंधित पीपुल्स वार ग्रुप के संस्थापक सदस्य रहे हैं, ने 14 अक्टूबर को 60 कैडरों के साथ आत्मसमर्पण किया था और 54 हथियार सौंपे थे। इनमें सात एके-47 और नौ इन्सास राइफलें शामिल थीं। रूपेश ने 17 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 200 से अधिक कैडरों के साथ आत्मसमर्पण किया था, जो राज्य के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण माना जा रहा है।