MANREGA : सोई हुई किस्मत को जगाया…कुएं ने खेती-बाड़ी को किया आसान
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MANREGA
खरीफ और रबी फसलों के साथ अब सब्जियों की खेती से बढ़ी आय
रायपुर/नवप्रदेश। MANREGA : आजीविका चलाने एक छोटा सा संसाधन कितना महत्वपूर्ण हो सकता है, इसकी जीवंत मिसाल है कोरिया जिले के किसान जगमोहन है। बैकुण्ठपुर विकासखंड के गिरजापुर में रहने वाले जगमोहन साढ़े तीन एकड़ की खेती पहले सिर्फ बारिश के भरोसे करते थे। खेती का दारमोदार बारिश था, इसलिए वे रबी फसलों लेने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे।
अब मनरेगा (MANREGA) से उन्होने अपने खेत में कुएं खुदवाये, जिसने उनकी किस्मत बदल दी है। अब वे खरीफ और रबी फसलों के साथ सब्जियों की भी खेती कर अतिरिक्त आय बढ़ा ली।
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पहले ऊपरवाले के भरोसे होती थी खेती
जगमोहन ने गांव के दूसरे किसानों को कुएं से सिंचाई करते देख मनरेगा के अंतर्गत अपने खेत में कुंआ निर्माण के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन दिया। ग्रामसभा के अनुमोदन के बाद वर्ष 2019-20 में जिला पंचायत ने कुएं की खुदाई के लिए 2 लाख 20 हजार रूपए की राशि स्वीकृत की।
मनरेगा के तहत कुंआ निर्माण के दौरान जगमोहन के परिवार को भी 46 मानव दिवस का सीधा रोजगार प्राप्त हुआ, जिसके लिए उन्हें 9 हजार रूपए की मजदूरी मिली। कुएं के निर्माण से फसलों की सिंचाई की व्यवस्था तो हुई ही, उनके परिवार को निस्तारी हेतु पानी के इंतजाम के लिए अब भटकना नहीं पड़ता। पहले बरसात या भीषण गर्मी के दिनों में पूरे परिवार की निस्तारी के लिए बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था।
अब साल भर चलती है खेती
जगमोहन कहते हैं कि मनरेगा (MANREGA) के माध्यम से खेत में कुंआ खुदाई से उनकी बहुत सी समस्याएं हल हो गईं। अब बरसात में धान की खेती के साथ ही रबी मौसम में गेहूं और सब्जियां उगाने लगे हैं। पूरे साल खेती-बाड़ी का काम चलने से आजीविका की चिंता दूर हो गई है।
वे बताते हैं कि कोरोना के कारण लागू बीते लॉक-डाउन के दौरान मटर, लहसुन, टमाटर, आलू जैसी सब्जियों का उत्पादन कर उन्होंने 15 हजार से 20 हजार रूपए कमाए। पिछले साल उन्होंने खरीफ मौसम में धान की भरपूर पैदावार लेकर 35 क्विंटल धान बेचकर 50 हजार रूपए से ज्यादा का लाभ अर्जित किया था।
रबी मौसम में गेहूं की उपज से 13 हजार रूपए की कमाई की। जगमोहन ने गेहूं की फसल के बाद गर्मियों में उड़द लगाकर करीब एक क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया है।