Manrega : मनरेगा से पंचायत जनप्रतिनिधियों का मोहभंग, छह महीनों से नहीं मिला सामग्री का पैसा, पूर्व जनपद सीईओ पर नियमों की अनदेखी का आरोप

Manrega : मनरेगा से पंचायत जनप्रतिनिधियों का मोहभंग, छह महीनों से नहीं मिला सामग्री का पैसा, पूर्व जनपद सीईओ पर नियमों की अनदेखी का आरोप

बैकुंठपुर/नवप्रदेश। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना पर भी अब राजनीति का दीमक लग चुका है, यह कहना भी गलत नहीं होगा। आंकड़ों पर गौर करे तो योजना की हालत दिन पर दिन बद से बदतर होती जा रही है। कोरिया  जिले में योजना की जो हालत है वह कुछ ऐसी ही तस्वीर खींचती नजर आ रही है।

मजदूरों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य के साथ शुरू हुई ये योजना अब जनप्रतिनिधियों को स्र5य की गई सामग्री के भुगतान पाने के लिए उन्हें खून के आंसू रुला रही। जिले के अधिकारी राज्य शासन द्वारा पैसा नहीं भेजने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ ले रहे व सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों द्वारा केन्द्र सरकार द्वारा पैसा नहीं भेजने की बात कह रहे।

वहीं भाजपा द्वारा केन्द्र से पैसा मिलने के पश्चात राज्य सरकार द्वारा अन्य योजनाओं में राशि खर्च करने की बात कही जा रही।  जिससे कही न कही मनरेगा में भी अब  ग्राम पंचायत सहित अन्य विभागों में सामग्री भुगतान नही होने से कार्य करने से मोह भंग होता नजर आ (Manrega) रहा।

जनपद का चक्कर लगा रहे जनप्रतिनिधि : जिला स्तर पर बैकुंठपुर जनपद  पंचायत अंतर्गत  कई ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधियों द्वारा  जिला मुख्यालय के जनपद  कार्यालय के चक्कर लगा रहे। पूर्व जनपद सीईओ द्वारा नियमों का हवाला देकर पूर्ण कार्यो में भी हस्ताक्षर नहीं करने का आरोप है।

कई कार्यो में वर्षो से भुगतान नहीं हुआ है जिससे अब ग्राम पंचायतों के सरपंच को कार्य कराने के बाद भी निराशा ही हाथ लग रही जिससे अब कुछ ग्राम के सरपंचों  ने बताया कि मनरेगा के कार्यो के पूरा होने के  बाद भी कई  महीनों  से पैसा नहीं मिला (Manrega) है।

भुगतान कब होगा इसकी कोई गारंटी नहीं : जिला मुख्यालय के अधिकारियों से भी पूर्व सीईओ की मनमानी को लेकर अवगत कराया गया व सामग्री का  पैसा दिलाने की गुहार लगाई, लेकिन अभी तक कोई भी सुनवाई नहीं हुई है।

वहीं अब नए जनपद सीईओ से हुए कार्यो के फ ाइल  में हस्ताक्षर की उम्मीद है किंतु भुगतान कब मिलेगा इसकी गारंटी नहीं हैं क्योंकि पूर्व सीईओ ने कई फ ाइलों को अपने पास रख काफ ी समय बाद कमियां बताई जबकि भुगतान एफ टीओ अब तक हो जाना था जो कि पूर्व जनपद सीईओ की उदासीनता से नहीं (Manrega) हुआ।

विकास के पहिए थमे : मनरेगा नियमों के तहत काम करने के छह माह के अंदर  मनरेगा में क्रय सामग्री का  भुगतान हो जाना चाहिए, लेकिन जिला मुख्यालय के ब्लॉकों में इस गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। बैकुंठपुर ब्लॉक में कार्य पूरा होने के  बाद भी  ग्राम पंचायतों को  मटेरियल सामग्री का भुगतान नहीं मिल  पाया है।

ब्लॉक से लेकर जिला मुख्यालय तक के अफ सरों से गुहार लगा चुके हैं। ऐसे में थक हार कर अब उनका इस योजना से मोहभंग हो रहा है। बैकुंठपुर ब्लॉक की कई ग्राम पंचायतों में  पूर्व में हुए जारी मनरेगा कार्य के  सामग्री का भुगतान नही होने से वर्तमान में चल रहे  कार्य के इंकार करने के बाद विकास का पहिया थम भी  चुका है।

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