Man Made Forest : पर्यावरण संरक्षण के लिए नजीर बना निष्प्रयोज्य माइंस का नेचुरल हैबिटैट |

Man Made Forest : पर्यावरण संरक्षण के लिए नजीर बना निष्प्रयोज्य माइंस का नेचुरल हैबिटैट

Man Made Forest: Natural Habitat of Disposable Mines made an example for environmental protection

Man Made Forest

CM भूपेश बघेल ने किया अवलोकन, लगाया बरगद का पौधा

रायपुर/नवप्रदेश। Man Made Forest : देश में पर्यावरण की मानव निर्मित विशाल धरोहर दुर्ग जिले के नंदिनी की खाली पड़ी माइंस में बनी है। यहां विशाल मानव निर्मित जंगल विकसित किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को नंदिनी में इस प्रोजेक्ट का अवलोकन किया। नंदिनी की खाली पड़ी खदानों की जमीन में यह प्रोजेक्ट विकसित किया गया है।

डीएमएफ-एडीबी राशि से तैयार

उल्लेखनीय है कि इसके लिए डीएमएफ तथा अन्य मदों से राशि ली गई है। लगभग 3.30 करोड़ रुपए की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने यहाँ बरगद का पौधा लगाया और जंगल का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पर्यावरण संरक्षण के लिए यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया।

देश दुनिया के सामने बना उदाहरण

यह प्रोजेक्ट (Man Made Forest) देश दुनिया के सामने उदाहरण है कि किस तरह से निष्प्रयोज्य माइंस एरिया को नेचुरल हैबिटैट के बड़े उदाहरण के रूप में बदला जा सकता है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करने यह प्रशंसनीय कदम है। यहां 100 एकड़ में औषधीय पौधे तथा फलोद्यान भी विकसित करें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये ये बड़ी पहल है। इससे प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।

प्रकृति को सहेजने हमने हमेशा तवज्जो दिया : मो अकबर

वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री तथा दुर्ग जिले के प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि हमने प्रकृति को सहेजने के लिए ये बड़ा निर्णय लिए। चाहे लेमरू प्रोजेक्ट हो या नदियों के किनारे प्लांटेशन, प्रकृति को हमने हमेशा तवज्जो दी। यहां मानव निर्मित जंगल का बड़ा काम हुआ है। मैं इसके लिए क्षेत्र की जनता को बधाई देता हूं। इस अवसर पर पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने भी पौधरोपण किया।

83 हजार से अधिक पौधे रोपे

उल्लेखनीय है कि 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं। अब खाली पड़ी जगह में 83,000 पौधे लगाये गये हैं। इसके लिए डीएमएफ-एडीबी से राशि स्वीकृत की गई। इस अवसर पर पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने विस्तार से प्रोजेक्ट (Man Made Forest) की जानकारी दी और इस कार्य मे लगे अधिकारियों को बधाई दी।

3 साल में लेंगे जंगल का रूप : कलेक्टर

सीएफ शालिनी रैना ने भी प्रोजेक्ट की टीम को बधाई दी। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे तथा डीएफओ धम्मशील गणवीर ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी मुख्यमंत्री को दी। उन्होंने बताया कि 83000 पौधे लगाये जा चुके हैं। 3 साल में यह क्षेत्र पूरी तरह जंगल के रूप में विकसित हो जाएगा। यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा।

श्री गणवीर ने बताया कि यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए गये हैं जिनकी उम्र काफी अधिक होती है साथ ही हर्रा, बेहड़ा, महुवा जैसे औषधि पेड़ भी लगाए गये हैं। इस मौके पर पीसीसीएफ वन्य संरक्षण नरसिंह राव, लघु वनोपज के एमडी संजय शुक्ला, आईजी विवेकानंद सिन्हा, एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। साथ ही बीएसपी सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता भी उपस्थित रहे।

पक्षियों के लिए आदर्श रहवास

मानव निर्मित (Man Made Forest) इस पूरे प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बनेगा। पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित होगा। यहां पर एक बहुत बड़ा वेटलैंड है जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्क आदि लक्षित किए गए हैं। यहां झील तथा नजदीकी परिवेश को पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित होगा।

इको टूरिज्म का होगा विकास

इसके साथ ही इस मानव निर्मित जंगल में घूमने के लिए भी विशेष व्यवस्था होगी। इसके लिए भी आवश्यक कार्य योजना बनाई गई है ताकि यह छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देश के सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थलों में शामिल हो सके।

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