संपादकीय : ममता बनर्जी की दावेदारी
Mamta Banerjee’s claim: लोकसभा चुनाव के पूर्व बने गठबंधन आईएनडीआईए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। हालांकि लोकसभा चुनाव में आईएनडीआईए ने एनडीए को कड़ी टक्कर दी थी और भाजपा की सीटें कम कराने में सफलता पाई थी। आईएनडीआईए लोकसभा में मजबूत विपक्ष के रूप में उभरा कांग्रेस 99 सीटें जीतने में सफल हुई।
वहीं समाजवादी पार्टी ने पहली बार 37 सीटें जीतने का कीर्तिमान रचा। तृणमूल कांग्रेस भी तीसरे नंबर की बड़ी पार्टी बनी। इसके बाद हरियाण और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में आईएनडीआईए को करारा झटका लगा। इसी के साथ ही इस गठबंधन में आपसी टकरार शुरू हो गई। अब आईएनडीआईए के नेतृत्व को लेकर रस्सा कसी शुरू हो गई है।
बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आईएनडीआईए की कमान संभालने का दावा ठोक दिया है। उन्होंने कहा है कि मैंने ही इंडिया गठबंधन का गठन किया था और इस गठबंधन को मजबूत बनाने के लिए तथा गठबंधन का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए मैं इसका नेतृत्व करने के लिए तैयार हुं।
ममता बनर्जी के इस दावे का आईएनडीआईए में शामिल कई दलों ने समर्थन किया है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल तथा शिवसेना यूबीटी के अलावा आम आदमी पार्टी तथा शरद पवार ने भी ममता बनर्जी को आईएनडीआईए का नेतृत्व सौंपे जाने की पूरजोर वकालत की है। टीएमसी के नेताओं ने कांग्रेस के नेतृत्व पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की जीत का स्ट्राइक रेट दस प्रतिशत रहा है जबकि भाजपा के खिलाफ टीएमसी का स्ट्राइक रेट 70 प्रतिशत से अधिक रहा है।
इसी से यह स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा के खिलाफ लड़ाई लडऩे में तृणमूल कांग्रेस ज्यादा सक्षम है। ममता बनर्जी के दावे का समर्थन करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह ने बयान दिया है कि वे एक वरिष्ठ नेत्री है उनके पास काफी अनुभव है और वे सक्षम है। ममता बनर्जी के सभी पार्टियोंं के साथ अच्छे संबंध है और उनके नेतृत्व पर सभी को भरोसा है।
राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी ममता बनर्जी को हर दृष्टि से योग्य बताते हुए उन्हें आईएनडीआईए की कमान सौंपने की मांग उठाई है।
गौरतलब है कि पहले पहल टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने ये मांग उठाई थी और कहा था कि कांग्रेस इस गठबंधन का नेतृत्व करने में विफल रही है इसलिए उसे अहंकार छोड़ देना चाहिए और ममता बनर्जी को गठबंधन के नेता के रूप में मान्यता दे देनी चाहिए। इसके बाद ममता बनर्जी ने भी आईएनडीआईए के काम काज पर असंतोष जताया था और इसे मजबूत बनाने की जरूरत पर जोर दिया था।
अब देखना होगा कि इस गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ममता बनर्जी को गठबंधन की कमान सौंपने के लिए राजी होती है या नहीं। यदि कांग्रेस अपने सहयोगी दलों की मंसा के अनुरूप ममता बनर्जी को नेतृत्व देने के लिए तैयार नहीं होती है तो बहुत संभव है कि आईएनडीआईए टूट जाये और एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तीसरा मोर्चा बन जाये।
दरअसल ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच पहले से ही तनातनी चल रही है। लोकसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी ने कांग्रेस और वामपंथी दलों को बंगाल में एक भी सीट नहीं दी थी। इसके बाद से ही दोनों के बीच दूरियां बढ़ी हैं। ऐसी स्थिति में ममता बनर्जी को आईएनडीआईए की कमान सौंपने पर कांग्रेस शायद ही सहमत हो।