संपादकीय: एकला चलो रे की नीति पर ममता

संपादकीय: एकला चलो रे की नीति पर ममता

Mamata on Ekla Chalo Re policy

Mamata on Ekla Chalo Re policy

Mamata on Ekla Chalo Re policy: बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो हमेेशा से ही एकला चलो रे की नीति पर चलती रही है। यह बात अलग है कि उनकी पार्टी आईएनडीआईए का हिस्सा है लेकिन उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में बंगाल में आईएनडीआईए से अलग हटकर अकेले अपने बलबूते पर चुनाव लड़ा और सबसे ज्यादा सीटें जीतने में सफल भी हुई ।

उन्होंने कांग्र्रेस और वामपंथी दलों को एक भी सीट न देकर गठबंधन धर्म का उल्लंघन किया था। अब जबकि नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की महत्वपूर्ण बैठक आहुत की गई तो आईएनडीआईए गठबंधन ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला कर लिया।

कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया। किन्तु बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ( Mamata on Ekla Chalo Re policy) बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल होने वहां पहुंच गई। उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी नीति आयोग की बैठक में जाने के लिए राजी कर लिया था।

यह बात अलग है कि हेमंत सोरेन ने एन टाइम पर अपना फैसला बदल लिया और वे बैठक में नहीं गए। इस तरह ममता बनर्जी ने आईएनडीआईए को साफ संदेश दे दिया कि वे गठबंधन के सभी निर्णयों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं। वे वहीं करेंगी जो उन्हें अच्छा लगेगा।

ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में गई और फिर वहां से गुस्से में बाहर भी आ गई। उन्होंने आरोप लगाया है कि नीति आयोग की बैठक में उन्हें बोलने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। अन्य मुख्यमंत्रियों को 20-20 मिनट बोलने दिया गया लेकिन उन्हें सिर्फ 5 मिनट बोलने का अवसर दिया गया और जब उन्होंने बंगाल के लिए मदद की मांग रखी तो उनका माइक बंद करके उनका अपमान किया गया।

ममता बनर्जी ने कहा है कि यह सिर्फ उनका नहीं बल्कि पूरे आईएनडीआईए का अपमान है क्योंकि विपक्ष की तरफ से वही एक मात्र मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में गई थी। समझ में नहीं आता कि ममता बनर्जी इसे आईएनडीआईए का अपमान कैसे कह रही हैं।

उसने तो नीति आयोग की बैठक का बायकाट कर दिया था फिर इसमें आईएनडीआईए के अपमान का प्रश्न कैसे पैदा हो गया। इधर सरकार ने भी ममता बनर्जी के आरोप को निराधार बताया है। सरकार का कहना है कि ममता बनर्जी का माइक बंद नहीं किया गया था।

पहले उन्हें लंच के बाद सातवें नंबर पर बोलना था लेकिन बंगाल सरकार ने अनुरोध किया था कि ममता बनर्जी को बंगाल वापस लौटना है इसलिए उन्हें लंच के पहले ही बोलने का मौका दिया जाए। इस अनुरोध को स्वीकार कर उन्हें पहले बोलने दिया गया और पर्याप्त समय भी दिया गया।

नीति आयोग की बैठक में ममता ( Mamata on Ekla Chalo Re policy) बनर्जी का या आईएनडीआईए का कोई अपमान नहीं हुआ है। किन्तु अब ममता बनर्जी इसे मुद्दा बना रही है और केन्द्र सरकार पर बंगाल की उपेक्षा का वहीं पुराना आरोप लगा रही है जो वे अब तक अक्सर लगाती रही हैं।

दरअसल ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में जाकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तरफ तो उन्होंने आईएनडीआईए को यह संदेश दे दिया है कि वह उनके निर्देशों की परवाह नहीं करती और आज भी वे एकला चलो रे की नीति पर अमल कर रही हैं।

वहीं दूसरी ओर उन्होंने नीति आयोग की बैठक को अधूरा छोड़कर केन्द्र सरकार को भी यह संदेश दे दिया है कि वे केन्द्र के साथ टकराव की राजनीति आगे भी करती रहेंगी

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