संपादकीय: ममता बनर्जी का नया सियाासी दाव
Mamata Banerjee’s new political claim: बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक लेडी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद से बंगाल में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार चौतरफा आलोचना का शिकार हो रही है। ऐसे में खेला करने में माहिर ममता बनर्जी ने नया सियासी दांव चला है।
उन्होंने बंगाल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर दुष्कर्म विरोधी विधेयक पेश किया। जिसका भाजपा ने भी समर्थन किया। इस तरह यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया।
इस विधेयक के अनुसार दुष्कर्म के बाद पीडि़ता की मौत के दोषी को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के दोषी लोगों को बिना जमानत के आजीवन कारावास की सजा देने का भी प्रावधान किया गया है।
बंगाल विधानसभा में यह विधेयक पेश करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee’s new political claim) ने इसे ऐतिहासिक करार दिया है। उन्होंने कहा है कि दुष्कर्म के दोषी लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की है कि इस विधेयक के प्रावधानों के तहत हम जांच को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित करेंगे।
ताकि तय समय के भीतर ऐसे मामलों की जांच पूरी कराई जा सके और अपराधियों को जल्द से जल्द उनके किए की सजा मिल सके। निश्चित रूप से महिला सुरक्षा को मद्देनजर रखकर इस विधेयक का स्वागत किया जाना चाहिए।
किन्तु सवाल यह उठता है कि बंगाल में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए बंगाल सरकार और वहां की पुलिस आखिर कड़े कदम उठाने से अब तक असफल क्यों रही है।
संदेशखाली से लेकर कोलकाता तक की घटनाओं से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और उनकी पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही करने की जगह उनके बचाव में ज्यादा लगी रही हैं।
ऐसी स्थिति में यह नया कानून कितना प्रभावी सिद्ध हो पाएगा कह पाना मुहाल है। दरअसल ममता बनर्जी ने यह नया कानूनी खेला करके डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है।
इसमें वे किस हद तक सफल होती हैं यह आने वाला वक्त ही बेहतर बताएगा। कोलकाता के जिस आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में यह बर्बर घटना हुई थी।
उसके सबूतों को नष्ट करने की जो कोशिशें हुई थी यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है। यदि हाई कोर्ट दखल नहीं देता तो इस मामले की सीबीआई जांच भी नहीं हो पाती।
बहरहाल सीबीआई जांच के बाद उक्त मेडिकल कॉलेज में बरती जा रही गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की पोल भी खुलती जा रही है।
एक पखवाड़े की लंबी पूछताछ के बाद सीबीआई ने उक्त मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। उक्त प्राचार्य पर ममता बनर्जी सरकार का वरद हस्त बताया जाता है। अब सीबीआई उससे कड़ी पूछताछ करेगी तो इस मामले में और भी ज्यादा चांैकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।