Makhan Farming Empowerment : डबरी से समृद्धि तक – महिलाओं ने मखाना खेती में देखी नई आर्थिक राह

Makhan Farming Empowerment

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कृषि विविधीकरण और महिला सशक्तिकरण की दिशा में धमतरी जिले ने एक और ठोस कदम बढ़ाया है। विकासखंड नगरी के ग्राम सांकरा से 40 इच्छुक (Makhan Farming Empowerment) महिला किसान समूह का एक दल रायपुर जिले के विकासखंड आरंग अंतर्गत ग्राम लिंगाडीह पहुंचा,

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जहाँ उन्होंने मखाना प्रोसेसिंग एवं आधुनिक खेती तकनीक का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस अध्ययन भ्रमण एवं प्रशिक्षण की संपूर्ण व्यवस्था जिला उद्यानिकी विभाग, धमतरी द्वारा की गई। कलेक्टर धमतरी ने भी इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि मखाना खेती से महिला किसानों की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा।

धमतरी की ग्रामीण महिलाओं ने मखाना खेती के व्यावसायिक पहलुओं पर प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण में 40 महिला किसान समूह ने (Makhan Farming Empowerment) के तहत डबरी चिन्हांकन, जलभराव वाली तालाब संरचना, बीज चयन, उत्पादन लागत और बाजार संभावनाओं को समझा। इस पहल से महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता का नया अवसर मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

अब जल्द ही धान से आगे सोचते हुए मखाना खेती से धमतरी की ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक तस्वीर बदलने वाली है। छोटी छोटी डबरी से समृद्धि तक यह फसल महिलाओं के लिए (Makhan Farming Empowerment) का प्रतीक बनेगी। शासकीय प्रयासों और प्रशिक्षण का प्रतिफल है कि इस खेती से धमतरी में महिलाओं का सशक्तिकरण होगा।

कलेक्टर के सतत प्रयासों से धमतरी जिले के ग्राम राखी, पीपरछेड़ी, दंडेसरा, राँकाडोह एवं सांकरा में लगभग 90 एकड़ क्षेत्र में मखाना खेती की शुरुआत हो चुकी है। महिला किसानों ने स्थानीय ओजस फार्म का भ्रमण करते हुए मखाना की खेती, कटाई, प्रसंस्करण और विपणन से जुड़ी पूरी प्रक्रिया नजदीक से समझी।

फार्म प्रबंधक श्री संजय नामदेव ने किसानों को बताया कि मखाना की खेती के लिए जलभराव वाली डबरी, तालाब या जल संरचनाएं उपयुक्त होती हैं। उन्होंने तकनीकी पहलुओं, बीज चयन, उत्पादन लागत और बाजार संभावनाओं पर विस्तार से जानकारी दी और यह भी बताया कि उचित प्रशिक्षण एवं सरकारी सहयोग से यह फसल अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती है।

फार्म प्रबंधक ने बताया कि 1 किलो मखाना बीज से लगभग 200 से 250 ग्राम पॉप तैयार होता है, जिसकी बाजार कीमत 700 रुपये से 1000 रुपये प्रति किलो तक है। यदि किसान स्वयं उत्पादन, प्रसंस्करण और पैकेजिंग करें, तो प्रति एकड़ लाभ में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है। महिलाओं के लिए यह फसल (Makhan Farming Empowerment) का नया मार्ग प्रशस्त कर रही है।

इस अवसर पर श्री शिव साहू ने मखाना खेती के व्यावसायिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह फसल कम जोखिम वाली है और स्थायी आय का मजबूत स्रोत विकसित कर सकती है। महिला किसानों ने भी अपने अनुभव साझा किए और बताया कि मखाना खेती से उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भर बनने का नया अवसर दिखाई दे रहा है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिक ने बताया कि प्रति एकड़ लगभग 20 किलो बीज की आवश्यकता होती है और औसत उत्पादन 10 क्विंटल तक प्राप्त किया जा सकता है। छह माह की अवधि वाली इस फसल में कीट-व्याधि का प्रकोप नगण्य होता है और चोरी जैसी समस्याएं भी नहीं होतीं। यह किसानों के लिए सुरक्षित विकल्प के रूप में (Makhan Farming Empowerment) की दिशा में बढ़ रहा है।

उप संचालक उद्यानिकी, धमतरी डॉ. पूजा कश्यप साहू के मार्गदर्शन में ग्रामीण उद्यानिकी अधिकारी श्री चंद्रप्रकाश साहू एवं बीटीएम श्री पीताम्बर भुआर्य के साथ आए किसानों ने मखाना बोर्ड एवं राज्य शासन की योजनाओं की जानकारी प्राप्त की। डॉ. पूजा ने बताया कि मखाना की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता एवं सब्सिडी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

धमतरी में 40 महिला किसान समूह ने व्यावसायिक मखाना उत्पादन और प्रोसेसिंग प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण में डबरी चिन्हांकन, बीज चयन, मखाना प्रसंस्करण और विपणन की पूरी श्रृंखला पर ध्यान दिया गया। यह पहल (Makhan Farming Empowerment) से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने की दिशा में अहम कदम है।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम व्यावसायिक मखाना उत्पादन आरंग विकासखंड के ग्राम लिंगाडीह में स्वर्गीय श्री कृष्ण कुमार चंद्राकर द्वारा प्रारंभ किया गया था, जहाँ राज्य का पहला मखाना प्रसंस्करण केंद्र भी स्थापित हुआ। आज मखाना उत्पादन छत्तीसगढ़ की नई कृषि पहचान बन रहा है।

धमतरी की महिला किसानों का यह प्रयास न केवल कृषि नवाचार का उदाहरण है, बल्कि यह दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और प्रशासनिक संकल्प से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी जा सकती है। मखाना खेती से ग्रामीण महिलाओं को स्थायी आय का स्रोत, आर्थिक सशक्तिकरण और (Makhan Farming Empowerment) की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।