संपादकीय: महाराष्ट्र में महायुति की महा जीत
Mahayuti’s big victory in Maharashtra: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के चुनाव परिणामों के साथ ही उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल और छत्तीसगढ़ की कुछ विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव के परिणाम घोषित हो गए। वायनाड लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव का नतीजा भी घोषित हो गया।
जहां से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा ने चार लाख से अधिक मतों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की है। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करके नया इतिहास रचा है। यहां से इंडिया गठबंधन को 57 सीटों पर जीत मिली है। जबकि एनडीए 23 सीटों पर सिमट कर रह गई है।
भाजपा ने महाराष्ट्र में बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है। वहां भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 288 सीटों में से 233 सीटें जीत कर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। महाराष्ट्र में महायुति ने महाजीत हासिल कर दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर लिया है। वहीं महाअघाड़ी अर्धशतक भी नहीं लगा पाई है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पूरे देश की निगाहें टीकी हुई थी। उत्तरप्रदेश के बाद महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। जहां उत्तरप्रदेश के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें और पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश की तरह ही महाराष्ट्र में भी भाजपा को तगड़ा झटका लगा था। किन्तु छह माह के भीतर ही महाराष्ट्र में भाजपा ने अपनी स्थिति सुधार ली और विधानसभा चुनाव में 233 सीटें जीत कर नया इतिहास रच दिया।
इस जीत में महिलाओं के लिए लागू की गई लाडकी बहिन योजना मास्टर स्ट्रोक साबित हुई। जिसके चलते भाजपा और महायुति में शामिल शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पाट्री को भारी सफलता मिली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नारा एक है तो सेफ है और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नारा बटेंगे तो कटेंगे भी महाराष्ट्र में प्रभावी सिद्ध हुआ। जिसकी वजह से जातीयता का जहर बोने वाले लोगों को नुकसान उठाना पड़ा। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और उसके सहयोगी शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर जातिगत आरक्षण खत्म करने की साजिश करने का आरोप लगाया था और उनका यह शिगूफा काम कर गया था।
नतीजतन भाजपा को लोकसभा चुनाव में कम सीटें मिली थी। किन्तु विधानसभा चुनाव में आईएनडीआईए का यह हथकंडा काम नहीं आया। सही बात है कि काठ की हांडी बार बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती। कुल मिलाकर महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोला और पिछले ढाई साल के कार्यकाल के दौरान एकनाथ शिंदे की सरकार ने महाराष्ट्र के विकास के लिए जो उल्लेखनीय काम किए थे। उससे भी महाराष्ट्र की जनता ने महायुति पर ही अपना भरोसा जताया।
वहीं दूसरी ओर महाअघाड़ी में शामिल पार्टियां सीटों के बंटवारे से लेकर भावी मुख्यमंत्री के पद तक आपस में उलझी रही। जिसका मतदाताओं पर विपरीत प्रभाव पड़ा। खासतौर पर उद्धव ठाकरे और उनके प्रमुख सिपाहसालार संजय राउत का बड़बोलापन भी महाअघाड़ी की शर्मनाक पराजय का एक बड़ा कारण बना।
अभी भी महाअघाड़ी के नेता इस हार को पचा नहीं पा रहे हैं। और संजय राउत तो चुनावी नतीजों पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। उनका दावा है कि महाराष्ट्र की जनता भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को चुनाव में जीता ही नहीं सकती। इसी तरह के विवादास्पद बयान देकर संजय राउत ने महाअघाड़ी की गाड़ी को पटरी से उतारा है।
बहरहाल महाराष्ट्र में मिली महाजीत से महायुति गठबंधन में हर्ष का माहौल है। अब देखना होगा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री कौन बनता है। ज्यादा संभावना तो इसी बात की है कि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को ही एक बार फिर महाराष्ट्र की कमान सौंपी जाए। और निवृत्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी जाए।
जहां तक उत्तरप्रदेश की 9 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों का प्रश्न है तो वहां योगी आदित्यनाथ की मेहनत रंग लाई। भाजपा ने 9 में से 7 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर ली। उत्तरप्रदेश में भी महाराष्ट्र की तरह ही पिछले लोकसभा चुनाव में ंभाजपा को करारा झटका लगा था।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पीडीए वाले फार्मूले ने समाजवादी पार्टी को 35 सीटें दिलाकर नया इतिहास रचा था। किन्तु इस विधानसभा उपचुनाव में पीडीए वाला फार्मूला बेअसर रहा। उतरप्रदेश में उपचुनाव के दौरान अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच जमकर जुबानी जंग हुई थी।
मतदान के दौरान ही वहां कई स्थानों पर विवाद की स्थिति निर्मित हुई थी। अंतत: वहां भाजपा ने सपा को करारी शिकस्त देकर पिछले लोकसभा चुनाव का हिसाब काफी हद तक बराबर कर लिया।
बिहार में भी जिन सीटों पर उपचुनाव हुए थे। वहां नीतीश कुमार का जादू चला और तेजस्वी यादव को मुंह की खानी पड़ी। बंगाल में ममता बनर्जी प्रभावी सिद्ध हुई।
वहां हुए छह विधानसभा सीटों के उपचुनाव में टीएमसी को जीत मिली। छत्तीसगढ़ की एक मात्र रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोनी ने प्रचंड़ बहुमत के साथ जीत दर्ज की। इस तरह महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के लिए हुए चुनाव में तथा अन्य राज्यों के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा का ही पलड़ा भारी रहा।