Maharashtra Politics : बागियों को मनाने की आखिरी कोशिश
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में महाअघाड़ी सरकार का गिरना लगभग तय हो चुका है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना के बागी विधायकों को मनाने की आखिरी कोशिश में जुटे हुए है लेकिन बात बन नहीं पा रही है। एकनाथ शिंदे की अगुवाई में असम के गुवाहाटी में जमा शिवसेना के ४० से ज्यादा विधायक अपने फैसले से हटने का नाम नहीं ले रहे है। इस बीच उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री आवास खाली कर दिया है और वे मातोश्री में रहने चले गए है। हालांकि अभी तक उन्होने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है लेकिन सीएम हाउस खाली कर के उन्होने बागी विधायकों के सामने एक तरह से समर्पण कर दिया है।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाअघाड़ी सरकार (Maharashtra Politics) का जाना तो तय है लेकिन अब उद्धव ठाकरे के सामने शिवसेना को बचाने की बड़ी चुनौती है। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर भी अपना दावा ठोक दिया है। उनका कहना है कि उनके साथ पार्टी के तीन चौथाई विधायक है और अब तो आधा दर्जन सांसद भी उनके समर्थन में आ चुके है। इसलिए शिवसेना का चुनाव चिन्ह उनके गुट को ही मिलना चाहिए। बहरहाल इसपर चुनाव आयोग फैसला लेगा, अभी तो सवाल यह है कि उद्धव ठाकरे की सरकार अब कितने समय की मेहमान है। वे अपनी ही पार्टी के विधायकों का समर्थन खो चुके है और उनकी सरकार अल्पमत में आ चुकी है। यदि फ्लोर टेस्ट होता है तो महाअघाड़ी सरकार धाराशाई हो जाएगी।
इस बात को उद्धव ठाकरे से बेहतर और कौन समझ सकता है। यही वजह है कि उन्होने बागी विधायकों तक यह संदेश पहुंचाया है कि वे आकर उनसे मिले और यदि वे उनसे मांग करेंगे तो वे मुख्यमंत्री पद भी छोड़ देंगे, क्योंकि वे सत्ता के लोभी नहीं है। यही नहीं बल्कि अब तो उद्धव ठाकरे महाअघाड़ी गठबंधन से भी अलग होने के संकेत दे रहे है। इसके बाद बागी विधायक मानते है या नहीं यह देखना होगा। इधर महाअघाड़ी गठबंधन में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी दोनों ही उद्धव ठाकरे के साथ है और उनका कहना है कि वे अंतिम समय तक उद्धव ठाकरे की सरकार को बचाने और चलाने का प्रयास करेंगे लेकिन इन दोनों दलों की भूमिका सिमित है।
शिवसेना में ही जब फूंट पड़ गई है और उद्धव ठाकरे (Maharashtra Politics) का साथ छोड़कर विधायक बागी खेमे में शामिल होने लगे है तो कांग्रेस और राकांपा इस मामले में आखिर क्या कर सकती है। इधर भाजपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले है जबकि भीतर ही भीतर भाजपा अपनी सरकार बनाने की कवायद कर रही है और उसने एकनाथ शिंदे को और उनके गुट को सत्ता में सम्मानजनक भागीदारी देने का ऑफर भी दिया है। आने वाले एक दो दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम क्या रूप लेगा।