Liquor Scam Case : ढेबर, ढिल्लन, त्रिपाठी और अरविन्द फिर 12 जून तक न्यायिक हिरासत में…
रायपुर/नवप्रदेश। Liquor Scam Case : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2000 करोड़ के शराब घोटाला मामले में अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी, अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लन को गुरूवार को रायपुर कोर्ट में पेश किया गया था। जहाँ सुनवाई के बाद चारों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में 12 जून तक जेल भेज दिया गया है। दरअसल गुरूवार को चारों आरोपियों की 14 दिन की न्यायिक रिमांड खत्म हुई थी, जिसके बाद कोर्ट में पेश किया था जहाँ से कोर्ट ने उन्हें फिर 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है।
बता दें कि ईडी ने अनवर ढेबर को 2 हजार करोड़ रुपए के शराब घोटाला का दोषी बताया था। पूछताछ के बाद ईडी ने रायपुर निवासी कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया।
ईडी ने मई महीने में अनवर ढेबर को अरेस्ट किया और कहा कि साल 2019 से 2022 तक 2000 करोड़ का अवैध धन शराब के जरिए कमाया, जिसे दुबई में अपने साथी विकास अग्रवाल के जरिए खपाया। ईडी की ओर से कहा गया कि अनवर ने अपने साथ जुड़े लोगों को परसेंटेज के मुताबिक पैसे बांटे।
इसके बाद इस मामले में आबकारी विभाग के अधिकारी एपी त्रिपाठी, कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित और अरुनपति त्रिपाठी को भी गिरफ्तार किया गया था। शराब घोटाला मामले में अब तक प्रदेश में कुल 180 करोड़ की संपत्ति अटैच की जा चुकी है।
शराब घोटाला में यूपी STF की एंट्री, नोएडा में दर्ज है FIR
बहुचर्चित शराब घोटाले केस में लखनऊ STF की एंट्री हो गई है। जहां घोटाले की जांच के लिए टीम इन्हें लेने के लिए आज रायपुर आई है। नकली होलोग्राम बनाने को लेकर नोएडा में इन सभी पर FIR दर्ज है। सभी आरोपियों को लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस भी धमक दे दी है।
आईएएस अनिल टुटेजा और उनके बेटे का नाम शामिल
FIR के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। अनवर ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया। FIR में छत्तीगसढ़ के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का भी नाम है। ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी।