Liquor Policy Chhattisgarh : घोटाले से ‘क्लीन’ मॉडल की ओर : छत्तीसगढ़ में फिर लागू होगी ठेका प्रणाली, सरकार अब नहीं बेचेगी शराब

Liquor Policy Chhattisgarh

Liquor Policy Chhattisgarh

भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में हुए (Liquor Policy Chhattisgarh) 3,200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के बाद अब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार राज्य की शराब नीति में बड़ा बदलाव करने जा रही है। सरकार ने यह तय किया है कि अब वह शराब की खुदरा बिक्री के कारोबार से खुद को पूरी तरह अलग करेगी और एक बार फिर से ठेका पद्धति लागू करेगी। सूत्रों के अनुसार, नई आबकारी नीति का मसौदा तैयार कर लिया गया है और इसे आगामी कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

सरकार का दावा है कि नई प्रणाली से न केवल पारदर्शिता (Transparency) बढ़ेगी, बल्कि (Revenue Collection Chhattisgarh) राज्य के राजस्व में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।

सरकार अब नहीं बेचेगी शराब

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर आबकारी विभाग ने शराब नीति में संशोधन का प्रारंभिक मसौदा तैयार कर लिया है। नए प्रस्ताव के अनुसार, राज्य में अब खुदरा शराब बिक्री की जिम्मेदारी निजी ठेकेदारों को दी जाएगी, जबकि सरकार केवल नियामक और निगरानी भूमिका में रहेगी। इस कदम का उद्देश्य है कि सरकार शराब कारोबार से सीधे वित्तीय रूप से जुड़ी न रहे और ठेका प्रणाली के माध्यम से Accountability व Transparency को मजबूत किया जा सके।

आबकारी विभाग के सूत्रों के अनुसार, ठेका पद्धति लागू होने से सरकार को स्थिर और पारदर्शी राजस्व प्राप्त होगा। वर्तमान में Chhattisgarh State Marketing Corporation Limited (CSMCL) के जरिए सरकारी शराब दुकानें संचालित की जा रही हैं, लेकिन अपेक्षित आय नहीं हो पा रही है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभाग को 11,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया गया था, जबकि केवल लगभग 8,000 करोड़ रुपये ही प्राप्त हो सके। अब सरकार ने नए वित्तीय वर्ष के लिए 12,500 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया है। अधिकारियों का मानना है कि नई ठेका पद्धति से राजस्व में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है।

2017 की नीति का पुनरावलोकन

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार ने 1 अप्रैल 2017 से ठेका प्रणाली समाप्त कर शराब बिक्री को सरकारी नियंत्रण में लिया था। इसके लिए (CSMCL Government Liquor Shops) का गठन हुआ, जो आज भी शराब दुकानों का संचालन कर रही है। साय सरकार का मानना है कि यह मॉडल न तो आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद रहा और न ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा सका। इसलिए अब उसी ठेका प्रणाली को फिर से लागू किया जाएगा, लेकिन इस बार तकनीकी मॉनिटरिंग और GPS-आधारित निगरानी प्रणाली के साथ।

शराब घोटाले की पृष्ठभूमि में बड़ा फैसला

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित Liquor Scam 2025 में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, कारोबारी अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा सहित कई बड़े नाम शामिल हैं।

इस घोटाले के तार झारखंड और दिल्ली की आबकारी नीतियों से भी जुड़े पाए गए। जांच एजेंसियों के अनुसार, छत्तीसगढ़ के कुछ अफसरों और व्यापारियों ने झारखंड की शराब नीति तैयार करने में भी भूमिका निभाई थी। वहीं दिल्ली आबकारी घोटाले में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पहले से जेल में हैं।