Leadership in Bihar : नितिश कुमार ने बनाया रिकार्ड
Leadership in Bihar : बिहार में आठवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर नितिश कुमार ने एक नया रिकार्ड बना दिया है। दल बदलने का रिकार्ड वे पहले ही बना चुके हैं। मजे की बात यह है कि उन्होंने आठवी बार अपने नेतृत्व में बिहार में सरकार बनाई है लेकिन एक बार भी उनकी पार्टी स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं कर पाई है। हर बार उन्हें अन्य पार्टियों की बैसाखी का सहारा लेना पड़ा है। ये भी कोई कम बड़ी बात नहीं है कि नितिश कुमार जिस पार्टी की कड़ी आलोचना करते है वक्त आने पर उसी पार्टी से हाथ मिलाने में संकोच नहीं करते और फिर अपने पुराने साथी को कोसने लगते है।
बार-बार पलटी मारने के कारण भले ही नितिश कुमार की विश्वसनीयता (Leadership in Bihar) घट गई है लेकिन यह तो मानना पड़ेगा कि दुश्मन को दोस्त और दोस्त को दुश्मन बनाने के बावजूद वे सभी पार्टियों के लिए स्वीकार्य होते हैं। बेशक उनकी पार्टी जदयू विधानसभा चुनाव में दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे लेकिन मुख्यमंत्री का पद उन्ही की झोली में जाता है। यह भी कोई कम बड़ा चमत्कार नहीं है। बहरहाल नितिश कुमार ने अब राजद, कांग्रेस, वामपंथी दलों और हम जैसी लगभग 7 पार्टियों के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाई है लेकिन उनके सामने इस सरकार को तीन साल तक चलाने की चुनौती है। उनकी राह आसान नहीं है।
भाजपा ने तो उन्हे मुख्यमंत्री पद दिया था और फ्री हेण्ड भी दिया था लेकिन महागठबंधन में शामिल सभी पार्टियां उन पर दबाव बनाएंगी। खासतौर पर सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल तो अपनी मनमानी करेगी। तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री बनने के साथ ही गृह विभाग भी ले लिया है जबकि नितिश कुमार पिछली सात बार जब भी मुख्यमंत्री बने है उन्होने गृह विभाग अपने ही पास रखा था लेकिन इस बार राजद की जीद के चलते उन्हे गृह विभाग छोडऩा पड़ा है। ये तो अभी शुरूआत है आगे चलकर उन्हे इस तरह के और भी कई फैसले मन मार कर करने पड़ेंगे।
जाहिर है यदि उन पर ज्यादा दबाव पड़ा तो वे फिर से पलटी मार सकते है। ऐसी स्थिति में उनकी सरकार के भविष्य पर प्रश्र चिन्ह लग जाता है। हालांकि नितिश कुमार के लिए यह आखरी मौका है अब वे उम्र दराज हो चुके है और अगली बार वे शायद ही मुख्यमंत्री बन पाएं या केन्द्रीय राजनीति में स्थान पा सके। इसलिए हो सकता है कि वे तीन का बचा हुआ कार्यकाल पूरा करने के लिए हर तरह का समझौता कर लें लेकिन इससे बिहार का विकास शायद न हो पाएं और वहां एक बार फिर जंगल राज कायम हो जाएं।
देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन की सरकार (Leadership in Bihar) नितिश कुमार के नेतृत्व में बिहार के बाशिंदों की उम्मीदों की कसौटी पर कितना खरा उतर पाती है। इसके साथ ही राजद नेता और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव दूसरी बार डिप्टी सीएम बन गए हैं। राज्यपाल फागू चौहान ने राजभवन में दोनों नेताओं को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के बाद तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के पैर भी छुए। 22 साल में यह 8वां मौका है, जब नीतीश कुमार राज्य के सीएम बने हैं। वे साल 2000 में सबसे पहले 7 दिनों के लिए सीएम बने थे।