Leaders saved from controversial statements: हरियाणा और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो गई है। इसी के साथ ही विधानसभा चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी होने लगी है। इस चुनावी माहौल में बयानवीर नेताओं का बड़बोलापन उनकी पार्टियों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
इसलिए इन बड़बोले नेताओं को विवादास्पद बयानबाजी से परहेज करना चाहिए। हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से निर्वाचित भाजपा सांसद चर्चित फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने किसान आंदोलन को लेकर विवादास्पद बयान दे दिया है। उनके बयान से सियासत गरमा गई है।
कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने कंगना रनौत के बयान को लेकर भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है और किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन करने वाले किसानों में पंजाब और हरियाणा के किसान ही ज्यादा थे।
ऐसे में कंगना रनौत के किसान आंदोलन विरोधी इस बयान का हरियाणा विधानसभा चुनाव में असर पड़ सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा की सीटें कम हुई थी और पंजाब में तो भाजपा का खाता भी नहीं खुला था।
उत्तरप्रदेश में भी भाजपा को लोकसभा चुनाव में करारा झटका लगा था। इसके पीछे एक बड़ी वजह किसानों की नाराजगी भी बताई जा रही है। इसके बाद भी कंगना रनौत ने एक खबरिया चैनल के साथ इंटरव्यू में किसान आंदोलन को लेकर विवादास्पद टीका टिप्पणी कर दी।
बहरहाल भाजपा ने कंगना रनौत को ऐसे बयानों से बचने की ताकीद की है। और भाजपा ने उनके बयान से खुद को अलग कर लिया है किन्तु अब तीर कमान से निकल चुका है और कांग्रेस सहित आईएनडीआईए में शामिल अन्य विपक्षी पार्टियां हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान कंगना रनौत से इस विवादास्पद बयान को निश्चित रूप से मुद्दा बनाएंगी।
हो सकता है कि भाजपा को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़े। यही वजह है कि आने वाले खतरे को भांप कर भाजपा हाई कमान ने कंगना रनौत को निर्देशित किया है कि नीतिगत मुद्दों पर वे अनर्गल बयानबाजी न करे।
इसी तरह भाजपा के अन्य बयानवीर नेताओं को भी चुनाव के दौरान संयम बरतने के निर्देश दिए गए है। वास्तव में ऐसे बड़बोले नेताओं को चुनाव के दौरान अपनी जुबान पर काबू रखना चाहिए।
सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस और अन्य पार्टियों में भी ऐसे ढेरों बडबोले नेता है जो चुनाव के दौरान अनरगल बयानबाजी कर मीडिया की सुर्खियां बटोरते है और उनकी इस तरह की अवांछनीय टीका टिप्पणी का खामियाजा उनकी पार्टियां भुगतती है।
सभी राजनीतिक पार्टियों के हाईकमान को चाहिए की चुनाव के दौरान वे अपने बड़बोले नेताओं को जुबान दराजी से परहेज करने का निर्देश दे ताकि राजनीतिक सूचिता बनी रहे। और इस तरह की विवादास्पद बयानबाजी के कारण चुनावी माहौल खराब न हो।