Labor food scheme: शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना से श्रमिकों की मिट रही भूख..

Labor food scheme: शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना से श्रमिकों की मिट रही भूख..

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Labor food scheme

Labor food scheme: सुबह होतेही मिलता है खाना भरपेट, मजदूरी के लिए नहीं होता लेट

रायपुर । Labor food scheme: संतोषी नगर के दिलीप दीप हो या पेंशनबाड़ा का बबलू खान, भिलाई के योगेश हो या नवापारा राजिम में रहने वाले राधे तांडी। ये सभी श्रमिक है। इनकी दिनचर्या की शुरुआत प्रातः 5 से 6 बजे ही शुरू हो जाती है।

भले ही इन मजदूरों को रात में सोने से पहले आने वाले दिन में काम मिलने को लेकर चिंता होती होगी, लेकिन उन्हें इस बात की गारंटी होती है कि कल की सुबह वह खाली पेट नहीं रहेगा। मजदूर भलीभांति जानते हैं कि चावड़ी में काम धंधा मिले न मिलें, उन्हें भरपेट भोजन जरूर मिलेगा।

निर्धारित स्थान पर बहुत कम दर पर भोजन मिलने से मजदूरों को सुबह- सुबह घर पर भोजन (Labor food scheme) की चिंता नहीं रहती। इससे उन्हें अपने कार्य स्थल पर जाने में भी विलम्ब नहीं होता। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और श्रम मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया के निर्देशन में श्रम विभाग द्वारा संचालित शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना हजारों गरीब मजदूरों के लिए वरदान साबित हो रही है।

 श्रम अन्न योजना (Labor food scheme) का लाभ प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 2 हजार से अधिक असंगठित, निर्माण एवं संगठित श्रमिक उठाते हैं। श्रमिक कार्ड बनने के बाद असंगठित एवं निर्माण श्रमिकों को 5 रुपए और संगठित श्रमिकों को 10 रुपए में गरम भोजन ( दाल, चावल, सब्जी,आचार) दिया जाता है। कुल 22 केंद्रों में मजदूरों को भोजन खिलाया जाता है। जिसमें रायपुर जिले में तेलीबांधा,गाँधी मैदान, सेरीखेड़ी, उरला और मैग्नेटो मॉल के पास भोजन केंद्र संचालित है।    

 श्रमिक बबलू खान इस योजना का लाभ लगातार उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह गाँधी मैदान के चावड़ी (मजदूरों के एकत्र होने का स्थान) में काम के लिए आता है। घर में पत्नी और छोटे बच्चे हैं। सुबह उठने के बाद नहा-धोकर सीधे घर से निकल जाता है और चावड़ी के पास संचालित श्रम अन्न योजना केंद्र में आकर भरपेट भोजन करता है।

मजदूर बबलू खान ने बताया कि सरकार द्वारा मजदूरों के लिए 5 और 10 रुपए में भोजन दिए जाने से घर में भी सुबह-सुबह भोजन पकाने की हड़बड़ी नहीं होती है। समय पर खाना खाने के बाद वह चावड़ी में जाकर काम के लिए मौजूद रहता है। सुबह भोजन होने के बाद किसी काम को करने में कोई समस्या नहीं आती।

संतोषी नगर के दिलीप दीप ने बताया कि उसके लिए श्रम अन्न योजना (Labor food scheme) एक बड़ी राहत की तरह है। 10 रुपए में इस महंगाई के जमाने में दाल, चावल सब्जी हम मजदूरों को सुबह-सुबह मिल जाना हमारे लिए राहत की तरह है। नया पारा राजिम से रायपुर आकर काम करने वाले मजदूर राधे तांडी ने बताया कि वह टेंट हाउस का काम करता है।

उन्होंने बताया कि प्रातः काल में भोजन की उपलब्धता उन्हें और उनके परिवार को कई तरह से राहत प्रदान करती है। राजेश तांडी ने बताया कि वह प्रतिदिन मजदूरी के लिए चावड़ी में आता है। श्रम अन्न केंद्र में भोजन के बाद काम की तालाश होती है।

इन केंद्रों में आने वाले अधिकांश मजदूरों का कहना है कि सुबह-सुबह भोजन की चिंता नहीं होने से समय पर मजदूरी मिल पाती है। पहले घर में भोजन बनवाने और खाने में समय लग जाता था और काम पर जाने में भी देरी होती थी। अब ऐसा नहीं है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल से उन्हें बहुत राहत मिली है।

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