Korea News : डेढ़ करोड़ की डब्ल्यूबीएम सड़क भ्रष्टाचार की चढ़ी भेंट!
कोरिया/नवप्रदेश। Korea News : जिले के मनेंद्रगढ़ वन मंडल के अंतर्गत बिहारपुर वन सीमा में निर्मित वन मार्ग की सड़क पहली ही बरसात में ग्रामीणों के बीच सुर्खियों का विषय बना हुआ है कि आखिर लाखों खर्च के बाद भी सड़क की हालत नहीं सुधरी। जबकि निर्माण के एक वर्ष भी पूरे नहीं हुए है। मामला कोरिया जिले के बिहारपुर वन परिक्षेत्र का है। जहां पर बिहारपुर से नगवां पहुंच वन मार्ग जिसकी लंबाई 10 किमी है जिसका निर्माण उक्त परिक्षेत्र के पूर्व प्रभारी रेंजर द्वारा पहले ही करीब 6 किलोमीटर सड़क बना दिया गया था।
शेष चार किमी की डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण वर्तमान (Korea News) प्रभारी रेंजर शंखमुनी पांडेय द्वारा कराया गया है। जंगल के वन मार्ग निर्माण की राशि 15 लाख पर किमी के हिसाब से होती है तो इस तरह से 6 किमी 90 लाख का कार्य पूर्व प्रभारी रेंजर द्वारा और करीब 50 लाख का कार्य वर्तमान रेंजर ने कराया है। फि र भी यह वन मार्ग अनियमितता की भेंट चढ़ गई। वहीं अधिकारी एक दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे जिससे उक्त कार्य की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहा।
कैसे की गई लीपापोती
डब्ल्यूबीएम वनमार्ग का निर्माण प्रांक्लन अनुसार अनुपात में नहीं कराया गया है। 40 एमएम साइज ग्रेनाइट या फि र मजबूत गिट्टी का उपयोग न करके बल्कि जंगलों से खोदकर तोड़े गए कत्तल बड़े पत्थरों को सीधे तौर पर बिछाकर उसके ऊपर जंगल के धुसदुसे रोड़े को डाल दिया गया है। बड़े पत्थरों को बिछाने से पहले वन मार्ग पर जो मिट्टी डाली गई है वह भी वन मार्ग के पास से ही खोदकर डाली गई है। जिसके लिए वन विभाग जेसीबी मशीन का उपयोग किया है। डाले गए मिट्टी बाद पत्थर फि र उसके ऊपर रोड़ा और फि र सड़क को बराबर दिखाने के लिए रोलर, ऐसे बना दिया गया सड़क और आहरण कर लिए गए डेढ़ करोड़ रुपए।
मनमानी तरीके से बनवाई सड़क
प्रांकलन में दर्ज सामग्री के अनुपात अनुसार कार्य किया जाता तो वन मार्ग धरासाई नहीं होता। दोनों प्रभारियों ने अपनी मनमानी तरीके से गुणवत्ताविहीन सड़क बनवाई। पहले मिट्टी की हल्की परत डाली गई उसमें भी अनुपात से कम उसके बाद जंगल से ही संग्रहित अनसाइज बड़े पत्थरों को उस पर बिछा दिया गया। जबकि मिट्टी की पहली परत काफ ी मजबूत और कंप्रेस करके बनाई जाती है परंतु यहां पर भी चोरी की गई। उसके बाद साइज गिट्टी के बजाय बड़े और जंगल के रेतीले पत्थरों को तोड़कर डाल दिया गया। उसके बाद सड़क में मुरूम के बजाय जंगली बलूखे मिट्टी जिसे रोड़ा भी कहते हैं उन्हें ट्रैक्टर और जेसीबी मशीन के माध्यम से डालकर रोलर चला दिया गया।
बारिश में घुलकर बहने लगी सड़कें
सड़क में उपयोग गिट्टी रेतीले पत्थरों की है जिस पर रोलर चलाए जाने से वह पीस मिट्टी और रोड़े के बीच पिस गया और बारिश की थोड़ी सी बहाव में ही घुलकर बहने लगी। जबकि इन रेंजरों के द्वारा सड़क निर्माण की जो राशि आहरण की जाती है उसमें लाल मुरूम का लंबा ट्रांसपोर्टिंग दिखाकर भुगतान लिया जाता है। ऐसे में मुरूम में भी भ्रष्टाचार किया गया है। बहरहाल अब लीपापोती की डांड़ी वाली डब्ल्यूबीएम वन मार्ग सड़क की कलई हाल ही के सूखे बरसात ने खोल दी है।
एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप
लीपापोती की खुलती पोल (Korea News) देख पूर्व प्रभारी रेंजर और वर्तमान बिहारपुर रेंजर कार्य की गुणवत्ता पर एक दूसरे को दोषी बताने में जुट गए हैं। जबकि अगर देखा जाए तो 4 किलोमीटर की सड़क का निर्माण कराया गया और उसका भुगतान भी वर्तमान प्रभारी रेंजर द्वारा लिया गया है। परंतु प्रभारी रेंजर खुद की कारगुजारी पर कुछ कहने की बजाय पूर्व प्रभारी रेंजर व सेवा निवृत्त डिप्टी रेंजर राम लोचन दिवेदी पर ठीकरा फ ोड़ रहे हैं। अब देखना ये है की बिहारपुर से नगवां डब्ल्यूबीएम सड़क में गुणवत्ताविहीन कार्य और उस पर भ्रष्टाचार का दोषी विभाग के उच्चाधिकारी किसको बताते हैं या फि र इस लीपापोती पर दोषियों से गोपाल गांठ कर एक और लीपापोती की जाएगी।