Korea District Agriculture : कोरिया के खेतों में खिली हरियाली…डिजिटल पहचान से जुड़ी नई उम्मीद…

Korea District Agriculture
धान की हरियाली ने फिर रच दी उम्मीदों की कहानी, किसान अब सिर्फ खेतों में नहीं, तकनीक में भी बखूबी खड़े हैं पानी।
Korea District Agriculture : सांवले बादलों के साये में जब किसान खेत में पहला पैर रखते हैं, तो धान की कोंपलों में भविष्य की चमक नजर आने लगती है। कोरिया जिले के खेत इस समय सिर्फ फसल नहीं उगा रहे, बल्कि उम्मीदें भी सींच रहे हैं। बैकुंठपुर और सोनहत के गांवों में धरती ने हरियाली की चादर ओढ़ ली है और किसान अपने पसीने से उसे सींचते हुए, नई कहानी लिख रहे हैं—संघर्ष और संतोष की।
जहाँ एक ओर मानसून ने समय पर दस्तक नहीं दी, वहीं किसानों की जिद और मेहनत ने इस कमी को पूरी तरह पछाड़ दिया। जिले में अब तक 80% से अधिक रोपाई पूरी हो चुकी है और खेतों में फसलें मुस्कुरा रही हैं। कृषि विभाग(Korea District Agriculture)की मानें तो इस बार 32 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान, 7,500 हेक्टेयर में दलहन और 1,500 हेक्टेयर में तिलहन की बुआई हुई है। शुरुआती देरी के बावजूद फसल उत्पादन बेहतर रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
‘फार्मर आईडी’ से बदलेगी खेती की तस्वीर
डिजिटल क्रांति अब सीधे खेतों तक पहुँच गई है। ‘एग्रीस्टेक’ पहल के तहत हर किसान को अब एक यूनिक फार्मर आईडी मिल रही है, जो उनकी कृषि पहचान बनेगी। इससे अब किसान योजनाओं के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं काटेंगे, बल्कि सीधा डिजिटल प्लेटफॉर्म से लाभ ले सकेंगे।
कृषि भूमि का आधार से लिंक होना, ऋण पुस्तिका और मोबाइल नंबर से ओटीपी सत्यापन जैसी प्रक्रिया से पारदर्शिता भी बढ़ेगी और योजनाओं की पहुंच भी। जिले में अब तक लाखों रुपये की कृषि(Korea District Agriculture) ऋण राशि वितरित की जा चुकी है, और लगभग 85% लक्ष्य के तहत खाद का वितरण भी हो चुका है।
छत्तीसगढ़ की मिट्टी: जहां खेती है परंपरा और प्रगति का संगम
कोरिया जिले के किसान(Korea District Agriculture) सिर्फ अनाज नहीं उगाते, वे परंपरा और प्रकृति की साझेदारी से जीवन रचते हैं। खेतों में लहराती धान की फसलें इस मिट्टी की जीवंतता की गवाही देती हैं। यह दृश्य केवल फसल का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।