Kisan Aandolan : किसान आंदोलन और कब तक…?
Kisan Aandolan : किसान संगठनों की प्रमुख मांग सरकार ने मान ली है। उनकी अन्य मांगो पर भी विचार करने का और न्यूनतम समर्थन मुल्य पर कानून बनाने के लिए एक कमेटी गठित करने का वादा भी किया है। इसके बावजूद किसान संगठानों का आंदोलन जारी है जो समझ से परे है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों नए कृषि कानूनों का वापस लेने का जो एलान किया था उसे अमलीजामा पहनाते हुए मंत्री परिषद की बैठक में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का प्रस्ताव भी पारित कर दिया।
सोमवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पहले ही दिन इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू होने जा रही है। संसद में उन तीनों कृषि कानूनों का रद्द होना तय है। इसके बाजवूद किसान संगठन दिल्ली के बार्डर पर जमे हुए है। उन्होने अब न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य मांगों को लेकर सरकार को चार दिसंबर तक का समय दिया है और इसके बाद आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है।
किसान संगठनों (Kisan Aandolan) ने हालांकि २९ नवंबर को नई दिल्ली में निकाली जाने वाली ट्रैक्टर रैली को स्थगित कर दिया है जो अच्छी बात है। जब सरकार किसानों की प्रमुख मांन को मान चुकी है और अन् मांगों को भी पूरा करने का भरोसा दिलाया है तो किसानों को अब अपने अडिय़ल रवैए को छोडऩा चाहिए और अपना आंदोलन खत्म कर देना चाहिए। समस्या का समाधान करने के लिए जब केन्द्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है तो किसान संगठनों को भी एक कदम आगे बढऩा चाहिए लेकिन किसान संगठन अभी भी आंदोलन जारी रखने की बात कर रहे है।
किसान नेता राकेेश टिकैत लगातार सरकार पर हमला कर रहे है और विपक्षी पार्टियां भी किसानों को आंदोलन के लिए उकसाने का काम कर रही है। ऐसा लगता है कि पांच राज्यों के लिए होने जा रहे विधानसभा चुनाव तक किसान आंदोलन को जारी रखकर किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर निशाना साधने वाले राजनीतिक दल इस आंदोलन का राजनीतिक फायदा उठाने की फिराक मे है।
राकेश टिकैत को भी इस आंदोलन को लंबा खीचने में लाभी नजर आ रहा है, यही वजह है कि सरकार के सहयोगात्मक रवैये के बाावजूद किसान संगठन आंदोलन (Kisan Aandolan) का रास्ता छोडऩे के लिए तैयार नहीं है जबकि अब किसानों के इस आंदोलन का कोई औचित्य नहीं रह गया है। जब सरकार ने राष्ट्रहित में तीनों नए कृषि कानून वापस लेे लिए है तो किसान संगठनों को भी राष्ट्रहित को सर्वोपरि मान कर अपना आंदोलन समाप्त कर देना चाहिए।