Khyber Pakhtunkhwa Violence : सीमा की रात में गूंजे धमाके - ओरकज़ई में घातक हमला, कर्नल और मेजर समेत 11 सैनिक ढेर

Khyber Pakhtunkhwa Violence : सीमा की रात में गूंजे धमाके – ओरकज़ई में घातक हमला, कर्नल और मेजर समेत 11 सैनिक ढेर

Khyber Pakhtunkhwa Violence

Khyber Pakhtunkhwa Violence

Khyber Pakhtunkhwa Violence : अफगान सीमा से सटे इलाके ओरकज़ई में सोमवार रात सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया। देर रात चले इस ऑपरेशन में सेना के 11 जवान शहीद हो गए, जिनमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक मेजर भी शामिल हैं। जानकारी के अनुसार, यह कार्रवाई खुफिया इनपुट पर आधारित थी, जिसमें बताया गया था कि इलाके में “फितना अल-ख्वारिज” से जुड़े आतंकी छिपे हुए हैं।

सेना के सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने अभियान शुरू किया तो आतंकियों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में 19 आतंकवादी मारे गए। इलाके में फिलहाल तलाशी अभियान जारी है ताकि किसी भी अन्य आतंकी को पकड़ा जा सके।

‘फितना अल-ख्वारिज’ क्या है?

सैन्य हलकों में “फितना अल-ख्वारिज” शब्द का इस्तेमाल प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लिए किया जाता है। यह संगठन लंबे समय से पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय (Khyber Pakhtunkhwa Violence) रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, पिछले कुछ वर्षों में इस समूह ने कई बिखरे गुटों को फिर से एकजुट किया है और हमलों की रफ्तार में तेज़ी आई है।

आंकड़े जो बताते हैं बढ़ता ख़तरा

हाल में जारी सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज़ (CRSS) की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2025 की तीसरी तिमाही में खैबर पख्तूनख्वा हिंसा से सबसे ज़्यादा प्रभावित रहा। रिपोर्ट कहती है कि देश में हुई कुल हिंसक मौतों में से 71 प्रतिशत सिर्फ इसी प्रांत में दर्ज की गईं, जबकि 67 प्रतिशत से अधिक घटनाएँ यहीं हुईं। यह रुझान बताता है कि सीमावर्ती इलाकों में हिंसक गतिविधियाँ लगातार बढ़ रही हैं और सुरक्षा बलों पर दबाव पहले से कहीं अधिक है।

टीटीपी की पृष्ठभूमि

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की नींव बैतुल्लाह महसूद ने रखी थी, यह संगठन अफगान तालिबान से वैचारिक रूप से जुड़ा होने के बावजूद पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से सक्रिय है। टीटीपी कई छोटे-बड़े गुटों का गठजोड़ है, जो 2020 के बाद दोबारा एकजुट हुआ और फिर से हमलों की श्रृंखला शुरू हुई। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस संगठन की रणनीति अब और अधिक विकेंद्रीकृत हो चुकी है यानी सीमावर्ती इलाकों में छोटे, तेज़ और आकस्मिक हमले करना इसका मुख्य (Khyber Pakhtunkhwa Violence) तरीका बन गया है।

स्थानीय असर और प्रतिक्रिया

ओरकज़ई और आसपास के इलाकों में तनाव का माहौल है। सुरक्षा बलों ने नागरिकों से एहतियात बरतने की अपील की है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक़, रातभर गोलियों की आवाज़ सुनाई देती रही और कई गाँवों में लोग सुरक्षित ठिकानों की ओर चले गए।अधिकारियों ने बताया कि इलाके को घेरकर तलाशी जारी है और सुरक्षा एजेंसियाँ पूरे ऑपरेशन की बारीकी से मॉनिटरिंग कर रही हैं।

अभी तस्वीर पूरी नहीं…

सीमा पार से आने वाली आतंकी गतिविधियाँ पाकिस्तान के लिए लगातार चुनौती बनी हुई हैं। ओरकज़ई की यह घटना उसी जटिल संघर्ष की नई कड़ी है, जहाँ हर रात बंदूकें बोलती हैं और सुबह केवल सन्नाटा (Khyber Pakhtunkhwa Violence) छोड़ जाती है। जाँच एजेंसियाँ अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इस हमले की योजना सीमा पार से संचालित की गई थी या स्थानीय स्तर पर बनाई गई थी।

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