कवासी लखमा का जवाब, शराब बंदी में अभी और लगेगा समय, बढ़ती जनसंख्या से बढ़ा अपराध

कवासी लखमा का जवाब, शराब बंदी में अभी और लगेगा समय, बढ़ती जनसंख्या से बढ़ा अपराध

Kawasi Lakhma's answer, liquor ban will take more time, increasing population will increase crime

Sharab Bandi

रायपुर/नवप्रदेश। Sharab Bandi : छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने छत्तीसगढ़ में शराब बंदी में अभी और समय लगने की बात कही। गुरुवार को कांग्रेस मुख्यलय में आयोजित मंत्री से मिलिए कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे आबकारी मंत्री ने प्रदेश में बढ़ते अपराध का ठीकरा जनसंख्या वृद्धि पर फोड़ दिया है।

गुरुवार को राजीव भवन में आयोजित “मंत्री से मिलिए” कार्यक्रम में उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने आम लोगों और अपने कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सूना और उस पर निराकरण की बात भी कही। वहीं मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि सभी आवेदन रूटीन था,जिसे जल्द निराकृत कर दिया जाएगा। शरबबंदी पर पूछे गए सवाल पर आबकारी मंत्री लखमा ने कहा कि प्रदेश में मजदूर और किसान सभी के तरह के लोग रहते हैं। यहां बस्तर-सरगुजा में (Sharab Bandi) आदिवासी रहते हैं। उनकी पूजा में इस्तेमाल होता है। उन्होंने स्वीकार किया कि कांग्रेस वादा जरूर पूरा करेगी लेकिन नोट बंदी की तरह तुरंत नशा बंदी नहीं होगी।

सभी पहलुओं पर विचार

आबकारी मंत्री ने कहा कि कर्ज माफी और शराबबंदी में अंतर है। शराबबंदी का फैसला किसान, आम आदमी, आदिवासी सभी से जुड़ा हुआ है, इसलिए अचानक बंद नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कुछ दिनों के लिए शराबबंदी हुई थी। इस दौरान रायपुर-बिलासपुर में कई लोगों की मौत हो गई थी। इसलिए सभी पहलुओं को देखने के बाद सरकार (Sharab Bandi) फैसला लेगी। उन्होंने पडोसी राज्यों का हवाला देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से सटा हुआ है। सरकार ने इसके लिए सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक समितियां बनाई है, जो अध्ययन कर रही हैं और सुझाव आने के बाद ही कोई फैसला किया जायेगा।

कवासी के बिगड़े बोल

मंत्री लखमा ने प्रदेश में बिगड़ते कानून व्यवस्था के लिए बढ़ती जनसंख्या को दोषी करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन काल में लोगों को चप्पल-जूते 8 नंबर के बजाय 10 नंबर का जूता दिया जाता था, इसलिए लोग इस्तेमाल नहीं करते थे। लेकिन अब छत्तीसगढ़ में गरीब-आदिवासियों की सरकार है। जो तेंदूपत्ता के लिए चार हजार रुपए प्रति क्विंटल भुगतान कर रही है।

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