जेसीबी मशीन को पालकी बनाकर अनोखे अंदाज में निकाली बारात
नवप्रदेश संवाददाता
कसडोल । पेशे से इंजीनियर का काम कर रहे अमिश कुमार डहरिया ने जेसीबी मशीन को पालकी बनाकर अनोखे अंदाज में बारात निकाली, यही नहीं उसने लड़की पक्ष से एक रुपए या किसी तरह के कोई सामान न लेकर अनूठी एवं अनुकरणीय मिशाल प्रस्तुत किया है ।
इन दिनों शहर से लेकर गांव तक शादीयो की धूम मची हुई है चुकी किसी भी व्यक्ति के जीवन मे शादी जैसा सुनहरा अवसर एक ही बार मिलता है और अपने शादी को यादगार बनाने के लिए हर संभव कोशिश करता है कुछ अलग ढंग से करने की बात करे खासकर दूल्हे की बारात की,अब तक आपने दूल्हे को महंगी कार घोड़े पे सवार,महंगी बग्घी पर सवार होकर बारात जाते देखा होगा ,लेकिन आज हम आपको ऐसी बारात की बात कर रहे है ,जो किसी महंगे कार बग्गी या घोड़े पर नही बल्कि इस दूल्हे ने अपनी बारात जेसीबी को पालकी बनाकर बैठकर पहुचा । इस दूल्हे के नाम है कसडोल के रहने वाले अमिश डहरिया जो पेशे से एक सिविल इंजीनियर है। बचपन से ही इंजीनयर बनने का सपना था , और जब बने तो शादी में बारात जाने को जेसीबी में जाना तय किया । बारात जब कसडोल नगर से निकली देखने वाला हर व्यक्ति अचरज में पड़ गए ,या यूं कहें कि इस इंजीनियर दूल्हे की बारात देखने पूरा नगर उमड़ पड़ा था । दूल्हे अमिश कुमार तो स्वयं इंजीनियर है जो शासकीय सेवक है तथा उनके पिता बलराम डहरिया आश्रम शाला कसडोल में प्रधान पाठक के पद पर है ।
दूल्हा अमिश कुमार ने बारात जाने के लिए वाहनों के काफिले की जरूरत न पड़े इसके लिए उसने लड़की पक्ष वालों को शादी के लिए कसडोल नगर ही बुला लिया था और एक माह पहले से मंगल भवन को अपने खर्च पर किराए पर ले लिया था तथा दहेज़ में औपचारिक रूप से दिए जाने वाले सभी सामानों को खरीदकर लड़की पक्ष को दे दिया था ।ऐसा नहीं है कि लड़की वालों की माली हालत खराब है बल्कि वे सम्पन्न परिवार से है तथा वधु स्वयं बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर पदस्थ है ।
ऐसा करके अमिश ने समाज के लोगों को दहेजलेने और देने की प्रथा को समाप्त करने का संदेश दिया है तो युवाओं को यह भी संदेश दिया है कि जब तक काबिल नहीं बन जाते घर गृहस्थी बसाने की न सोंचें बल्कि अपने परिवार के पालन पोषण करने योग्य बनने के बाद ही शादी करने की बात कही है ।