Justice BR Gavai Statement : जस्टिस गवई का बड़ा बयान: ‘पीएम मोदी जस्टिस चंद्रचूड़ से मिले भी थे तो इसमें कुछ गलत नहीं’
Justice BR Gavai Statement
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर जाने से जुड़े विवाद (Justice BR Gavai Statement) पर पूर्व चीफ जस्टिस बीआर गवई ने साफ कहा है कि अगर कार्यपालिका और न्यायपालिका के सदस्य आपस में मिलते हैं तो इसमें कोई भी अनुचित बात नहीं है। उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित कई विपक्षी दल यह आरोप लगाते रहे हैं कि न्यायपालिका सरकार के दबाव में काम कर रही है।
जस्टिस गवई ने एक साक्षात्कार में कहा, “कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका—ये तीनों संस्थाएँ नागरिकों की समस्याएँ दूर करने के लिए बनाई गई हैं। ये अपने-अपने संवैधानिक दायरे में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं। इसलिए यदि इन संस्थाओं के प्रतिनिधि एक-दूसरे से मिलते हैं, तो इसे गलत नहीं माना जा सकता।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी मुलाकातें न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित नहीं करतीं।
विवाद की पृष्ठभूमि
सितंबर 2024 में उस समय विवाद भड़क गया था जब प्रधानमंत्री मोदी, तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर गणपति पूजा में शामिल हुए थे। शिवसेना (यूबीटी) और विपक्ष के एक हिस्से ने आरोप लगाया था कि इस तरह की मुलाकात न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर सकती है। भाजपा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा था कि यह पूरी तरह सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन था तथा इसका राजनीति से कोई संबंध नहीं था।
भाजपा ने स्वागत किया, कांग्रेस ने कहा ‘निजी राय’
जस्टिस गवई के बयान पर राजनीति भी गरमा गई है। भाजपा ने उनके बयान का खुले तौर पर स्वागत किया है। भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “यह बयान साबित करता है कि न्यायपालिका पर दबाव के सभी आरोप राजनीतिक हैं। भाजपा सांसद योगेन्द्र चंदोलिया ने भी इसे भारतीय लोकतंत्र की भावना को मजबूत करने वाला बताया।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने इसे जस्टिस गवई की “निजी राय” कहा है। कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा, “उनका बयान उनकी अपनी राय है, लेकिन यह भी सच है कि सरकार लगातार संवैधानिक संस्थाओं पर नियंत्रण का प्रयास कर रही है।” कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने भी यही कहा कि गवई का बयान व्यक्तिगत मत हो सकता है, लेकिन इससे विपक्ष की चिंताएँ खत्म नहीं होतीं।
