मंत्री सिंहदेव को अजीत जोगी ने लिखा चेतावनी भरा पत्र

मंत्री सिंहदेव को अजीत जोगी ने लिखा चेतावनी भरा पत्र

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  • बेहतर रिश्ते की दुहाई देते हुए कहा पिता को सतनामी बोले मांफी मांगे

नवप्रदेश संवाददाता/रायपुर। जोगी जाति (jogi caste) मामले में गठित हाई पॉवर (high power committee) कमेटी के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (ajit jogi) को आदिवासी नहीं मानने वाले फैसले के बाद सियासी बवाल थमा नहीं है। जाति मामले में फैसले से व्यथित अजीत जोगी अब मंत्री और सरगुजा स्टेट के महाराज टीएस सिंहदेव पर एक्शन के मूड में हैं।

उन्होंने सिंहदेव व्दारा जाति मामले में फैसले के बाद की गई टिप्पणी पर चेतावनी भरा पत्र लिखा है। बता दें कि मंत्री सिंहदेव ने मीडिया को दिए बयान में कहा था कि जोगी के पिता सतनामी थे तो इस नाते अजीत जोगी भी सतनामी ही होंगे। इसके बाद बुधवार 28 अगस्त को अजीत जोगी ने सिंहदेव के नाम एक संयमित लेकिन चेतावनी भरे लहजे में आपसी रिश्तों की दुहाई देते हुए सतनामी वाली गलत बात कहे जाने का खंडन करने और गलती मानने को कहा है।

साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी चेतावनी दी है कि पत्र में उल्लेखित तय वक्त यानि कि सप्ताहभर के अंदर वे ऐसा करें अन्यथा वे पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों को दरकिनार करते हुए कानूनी कार्रवाई करेंगे। साथ ही आईपीसी की धारा का उल्लेख करते हुए अजीत जोगी ने यह भी चेताया है कि वे जिस धारा पर केस फाइल करेंगे उसमें सीधे जेल व सजा का प्रावधान है।

जोगी ने सिंहदेव को यह लिखा है

प्रिय श्री सिंहदेव,
मैं अत्यन्त दुख एवं आश्चर्य के साथ यह पत्र लिख रहा हूं। समाचार पत्रों और टीवी के माध्यम से आपने यह बयान दिया है कि मेरे पिता सतनामी जाति के थे। वास्तव में मेरे पिता एवं पूर्वज मूनी गोत्र के कंवर जाति के आदिवासी थे। न तो किसी दस्तावेज में और न किसी भू अभिलेख में और न ही वर्तमान छानबीन समिति के समक्ष आये साक्ष्य में कहीं भी मेरे पिता का सतनामी जाति होने का उल्लेख है। लगता है कि बेबुनियाद अफवाहों के आधार पर आपने ऐसा कहा है।

मेरे आपसे पारिवारिक एवं व्यक्तिगत संबंध अच्छे हैं अत: मैं चाहूंगा कि आप गलती स्वीकार करके इसका खंडन करें। यदि ऐसा नहीं होता है तो हमारे अच्छे पारिवारिक एवं व्यक्तिगत संबंधों के बावजूद अपने सम्मान की रक्षा के लिये मुझे न्यायालय में आईपीसी की धारा 497 और 500 के अंतर्गत अवमानना का प्रकरण दायर करना होगा जिसमें जेल की सजा का प्रावधान है। एक सप्ताह व्यतीत होने के बाद ही मैं यह कार्रवाई करूंगा।

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