Jharkhand Politics Crisis : रांची में राज्यपाल से मिले कांग्रेस नेता, इधर रायपुर पहुंचा एक और विधायक, राज्यपाल ने जल्द ही कानूनी सलाह लेकर स्थिति स्पष्ट करने का दिलाया भरोसा
रांची/रायपुर, नवप्रदेश। झारखंड के राजनीतिक संकट के बीच आज यूपीए का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमेश बैस से मिला। वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज और एक कांग्रेस का विधायक पहुंच गया। जिस रिसॉर्ट में झारखंड के विधायकों को रखा गया (Jharkhand Politics Crisis) है।
वहां दिल्ली व मुंबई के पत्रकारों ने भी डेरा डाल रखा है। अंदर से कोई खबरें बाहर नहीं आने के कारण दिल्ली के पत्रकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल कर रहे हैं। हालांकि सीएम बघेल का भेंट मुलाकात का कार्यक्रम चल रहा है तो वे निकलने से पहले पुलिस लाइन के हेलीपेड पर पत्रकारों से रूबरू होते (Jharkhand Politics Crisis) हैं।
उसी कड़ी में आज किसी पत्रकार ने झारंखड के मसले को लेकर सीएम से सवाल किया, उधर आज संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के दस सदस्यीय शिष्टमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की। यूपीए नेताओं ने सीएम हेमंत सोरेन के ऑफि स ऑफ प्रॉफिट मामले में जल्द ही उहापोह की स्थिति स्पष्ट खत्म करने का आग्रह किया।
राजभवन से बाहर निकलने के बाद यूपीए नेताओं ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने का भरोसा दिलाया (Jharkhand Politics Crisis) है। झारखंड मुक्ति मोर्चा केंद्रीय समिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य, विनोद कुमार पांडेय और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने बताया कि राज्यपाल ने उन्हें यह आश्वासन दिया है कि कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करने के बाद जल्द ही वे सारी स्थिति स्पष्ट कर देंगे।
यूपीए शिष्टमंडल में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू, जेएमएम के राजमहल सांसद विजय हांसदा, जेएमएम की राज्यसभा सांसद महुआ मांजी और कांग्रेस की चाईबासा सांसद गीता कोड़ा भी शामिल थी। यूपीए नेताओं की ओर से राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा गया।
जिसमें बताया कि स्थानीय एवं राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा 25 अगस्त से राज्यपाल के कार्यालय के सूत्रों का हवाला देते हुए व्यापक रूप से यह प्रसारित किया जा रहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग से बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक हेमन्त सोरेन और वर्तमान में झारखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री को भारत के संविधान के अनुच्छेद 192 (1) के
तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9-ए के तहत अयोग्य घोषित करने संबंधी पत्र महामहिम के कार्यालय को प्राप्त हुआ है। इस तरह की खबरों को स्थानीय और राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सनसनीखेज बनाया जा रहा है, जिससे बहुत सारी अनिश्चितता पैदा हो रही है और अफवाहों को बढ़ावा मिल रहा है।
राजनीतिक द्वेष से अस्थिर करने का आरोप : ज्ञापन में कहा गया कि यह मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को भी प्रोत्साहित करता है।
यह भी कहा कि राज्यपाल द्वारा चुनाव आयोग से प्राप्त गोपनीय राय को अभी सार्वजनिक किया जाना है, लेकिन राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, भाजपा द्वारा मध्यावधि चुनाव, मुख्यमंत्री के इस्तीफे आदि की मांग सार्वजनिक रूप से की जा रही है।
जो कि अवांछित है। वहीं मुख्यमंत्री की अयोग्यता अगर सामने भी आती है तो सरकार पर कोई इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी-निर्दलीय गठबंधन को अभी भी राज्य विधानसभा में प्रचंड बहुमत प्राप्त है।
कांग्रेस के एक और विधायक रिसॉर्ट पहुंचे : रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट में ठहरे विधायकों में कांग्रेस के एक और विधायक जुड़ गए हैं। वे मंगलवार को सभी विधायकों के साथ रायपुर नहीं पहुंच पाए थे।
कांग्रेस के 18 में से 12 विधायक ही रायपुर पहुंचे थे। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के 19 विधायक रिसॉर्ट में हैं। कांग्रेस के तीन विधायक बंगाल में भारी कैश के साथ पकड़े गए थे। उन्हें तीन महीने तक कोलकाता छोड़कर नहीं जाने की शर्त पर जमानत मिली है। वहीं एक विधायक हाल ही में मां बनी है, इसलिए वे नहीं आ पाईं।