Jharkhand Displacement and Rehabilitation Commission : झारखंड में विस्थापन व पुनर्वास आयोग का गठन, 1.57 लाख परिवारों को मिलेगा लाभ

Jharkhand Displacement and Rehabilitation Commission : झारखंड में विस्थापन व पुनर्वास आयोग का गठन, 1.57 लाख परिवारों को मिलेगा लाभ

Jharkhand Displacement and Rehabilitation Commission

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Jharkhand Displacement and Rehabilitation Commission : झारखंड में विस्थापन और पुनर्वास आयोग बनेगा। कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में इसकी मंजूरी दी गई और आयोग की नियमावली भी पारित कर दी गई। आयोग के अध्यक्ष, सदस्य सचिव और अन्य सदस्यों की नियुक्ति का मानदंड तय किया गया है। राज्य में विभिन्न कारणों से विस्थापित हुए करीब 1.57 लाख परिवार इससे लाभान्वित होंगे। यह (Jharkhand Displacement and Rehabilitation Commission) राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

विधानसभा के मानसून सत्र में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा था कि शीघ्र ही आयोग का गठन होगा। उन्होंने बताया कि कैबिनेट को प्रस्ताव भेज दिया गया था और मंगलवार को इसे मंजूरी दे दी गई। उद्योगों, खनन, बांध और जलाशयों के लिए भूमि अधिग्रहण के कारण विस्थापित परिवारों को अक्सर नौकरी, उचित मुआवजा और पुनर्वास जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

आयोग की नियमावली के अनुसार, आयोग भू-अर्जन से प्रभावित और विस्थापित परिवारों का सामाजिक एवं आर्थिक सर्वेक्षण करेगा। किसी भी परियोजना, उद्योग या लोक परिसंपत्ति निर्माण के कारण प्रभावित लोग इसके दायरे में आएंगे। आयोग राज्य सरकार को पुनर्वास के लिए सुझाव देगा, योजना बनाने के लिए सरकारी संस्थाओं को आंकड़े उपलब्ध कराएगा और क्रियान्वयन में सहयोग करेगा। इस तरह यह सुनिश्चित करेगा कि विस्थापितों का पुनर्वास सही तरीके से हो और उन्हें उचित मुआवजा मिले।

राज्य सरकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को मनोनीत करेगी, जिनका कार्यकाल तीन साल का होगा। विशेष परिस्थिति में सरकार इन्हें पदमुक्त भी कर सकती है। अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति होंगे जिनका सामुदायिक विकास, विस्थापन और पुनर्वास क्षेत्र में न्यूनतम 10 वर्षों का अनुभव हो। सदस्य प्रशासनिक अनुभव रखने वाले सेवानिवृत्त अधिकारी होंगे। आवश्यकतानुसार आयोग अधिकतम तीन आमंत्रित सदस्यों को शामिल कर सकता है। यह (Displacement and Rehabilitation Policy) राज्य में न्यायसंगत पुनर्वास सुनिश्चित करेगा।

इसके साथ ही, झारखंड सरकार ने कला, भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए झारखंड राज्य ललित कला अकादमी, झारखंड साहित्य अकादमी और झारखंड राज्य संगीत नाटक अकादमी बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। यह कदम सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में अहम भूमिका निभाएगा।

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