Jharkhand By-Election 2025 : CM Hemant की कोर टीम घाटशिला उपचुनाव को लेकर सक्रिय, सीएम हाउस में बनी रणनीति

Jharkhand By-Election 2025
Jharkhand By-Election 2025 : घाटशिला उपचुनाव की तैयारी को लेकर झारखंड की राजनीति पूरी तरह गरमाई हुई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को सीएम आवास, कांके रोड में कोल्हान क्षेत्र के विधायकों और मंत्रियों के साथ घाटशिला उपचुनाव (Jharkhand By-Election 2025) की रणनीति को लेकर महत्वपूर्ण बैठक की।
इस बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की ओर से उपचुनाव की पूरी योजना तय की गई। बैठक में मुख्यमंत्री के साथ कई वरिष्ठ नेता और मंत्री मौजूद रहे, जिनमें समीर मोहंती, दीपक बिरवा, सुखराम उरांव, सविता महतो, मंगल कालिंदी, दशरथ जगराई, जगत मांझी, संजीव सरदार, हाफिजुल हसन और पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कहा कि “यह सिर्फ जीत-हार की नहीं, बल्कि मार्जिन की लड़ाई है।” 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के दिवंगत विधायक रामदास सोरेन ने करीब 22,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। पार्टी का लक्ष्य इस बार 40,000 से 50,000 वोटों का अंतर बनाने का है।
बैठक में सभी विधायकों को उनके-अपने क्षेत्र और बूथ स्तर पर सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह झामुमो सरकार के लिए एक “लिटमस टेस्ट” होगा और किसी भी स्तर पर चूक नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह (Jharkhand By-Election 2025) सरकार की साख से जुड़ा है।
कोल्हान में झामुमो की साख दांव पर
राज्य सरकार के गठन के बाद यह पहला उपचुनाव है। ऐसे में झामुमो के लिए घाटशिला जीतना प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कोल्हान का जातीय और ऐतिहासिक समीकरण झामुमो के पक्ष में जाता है। 2014 को छोड़ दें तो यह सीट ज्यादातर बार झामुमो या कांग्रेस के कब्जे में रही है।
सत्ता पक्ष के पक्ष में इतिहास
डुमरी, मधुपुर और दुमका जैसे उपचुनावों में झामुमो सत्ता में रहते हुए जीत दर्ज कर चुका है। इस बार भी पार्टी को विश्वास है कि सरकार के कार्य, योजनाओं और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकप्रियता के बल पर घाटशिला में जीत सुनिश्चित की जा सकती है।
सिंपैथी फैक्टर पर भरोसा
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि दिवंगत रामदास सोरेन के निधन के बाद जनता में जो भावनात्मक जुड़ाव है, वह झामुमो उम्मीदवार सोमेश सोरेन के पक्ष में माहौल बना सकता है। पार्टी इस “सहानुभूति लहर” को पूरी तरह भुनाने की रणनीति बना रही है।
विपक्ष पर नजर
वहीं भाजपा की ओर से बाबूलाल सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे, मैदान में हैं। ऐसे में यह उपचुनाव “चाचा-भतीजा” की जंग बन चुका है – हेमंत बनाम चंपाई। मुख्यमंत्री आवास पर हुई यह बैठक इसी चुनौती को ध्यान में रखकर बुलाई गई थी ताकि हर विधानसभा और पंचायत स्तर पर संगठन को एक्टिव किया जा सके।
झामुमो के लिए घाटशिला उपचुनाव केवल एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक साख और सरकार के प्रदर्शन की परीक्षा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस रणनीतिक बैठक के बाद स्पष्ट है कि पार्टी इस उपचुनाव (Jharkhand By-Election 2025) को हर कीमत पर जीतना चाहती है, चाहे इसके लिए जमीनी स्तर पर कितनी भी मेहनत क्यों न करनी पड़े।