Jagdeep Dhankhad : हमारे शिल्पकार भारत की विरासत को विश्व के समक्ष प्रदर्शित करने वाले दूत हैं, हमारी संस्कृति के प्रकाश स्तंभ हैं
नई दिल्ली, नवप्रदेश। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उत्कृष्ट शिल्पकारों को शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में आज कहा कि हमारे शिल्पकार विश्व के समक्ष भारत की विरासत को प्रदर्शित करने वाले दूत और हमारी संस्कृति के प्रकाश स्तंभ हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन वस्त्र मंत्रालय ने किया।
श्री धनखड़ ने कहा कि भारत अब जिस गति से आगे बढ़ रहा है उतना पहले कभी नहीं था। उन्होंने कहा, ‘’हम इस समय विश्व के लिए निवेश और अवसरों के मामलों में सबसे पसंदीदा गंतव्य बन गए हैं।
हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र से जुड़े शिल्पकारों ने भारत की इस प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।‘’ शिल्प कौशल और कारीगरों की कुशलता की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनकी इस कुशलता पर भारत को गर्व है।
उन्होंने कहा, ‘’शिल्पकार हमारी संस्कृति के प्रकाश स्तंभ है। मुझे यह कहते हुए हर्ष हो रहा है कि आप हमारी संस्कृति और रचनात्मकता के सबसे प्रभावी और शक्तिशाली हस्ताक्षर है। आपने विश्व को यह दर्शा दिया है कि भारत के पास इतनी असाधारण प्रतिभा है।‘’
इस अवसर पर उत्कृष्ट शिल्पकारों को वर्ष 2017, 2018 और 2019 के लिए शिल्प गुरु और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए। महामारी के कारण इससे पहले यह आयोजन नहीं किया जा सका था।
महामारी के समय का उल्लेख करते हुए जब, भारत अपने देशवासियों को तीन अरब कोविड टीके उपलब्ध कराकर और टीकाकरण कार्यक्रम की डिजिटल मैपिंग कराकर विश्व में सबसे अधिक टीके प्रदान करने वाले देश बन गया, श्री धनखड़ ने कहा कि विश्व का कोई भी अन्य देश इस तरह की पहल के बारे में सोच भी नहीं सका।
उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि पहले लॉक-डाउन के समय से ही हमने 80 करोड़ से ज्यादा लाभार्थियों को राशन भी उपलब्ध कराया।
श्री धनखड़ ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता मिलना इस बात का प्रतीक है कि विश्व माननीय प्रधानमंत्री और उनकी परिकल्पनाओं को सुन और समझ रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस दशक के अंत तक भारत तीसरी सबसे बड़ी विश्व अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
केन्द्रीय वस्त्र, उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि हस्तशिल्प और हथकरघा शेष विश्व के साथ जुड़ने के लिए भारत को आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता प्रदान करने वाला आधार है।
उन्होंने कहा कि हमारे शिल्पकारों ने सदियों से अपने खुद के- आमतौर पर अनूठे तरीके ईजाद कर और उन्हें अपनाकर पत्थर, धातुओं, चन्दन और मिट्टी में जीवन का संचार किया।
उन्होंने बहुत पहले ही वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग प्रक्रियाओं में महारत हासिल कर ली और वो अपने समय से बहुत आगे थे। उनकी रचनाओं में उनके परिष्कृत ज्ञान और अतिविकसित सौन्दर्य बोध का परिचय मिलता है।
हमारे गांव में रहने वाले लाखों लोग बहुत कम लागत में हस्तशिल्प वस्तुओं का उत्पादन कर न सिर्फ इसके जरिये अपनी आजीविका चलाते हैं बल्कि हमारे पास भारत की संस्कृति, विरासत और परम्परा को दर्शाने वाली इन हस्तशिल्प वस्तुओं का एक बहुत अच्छा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार भी है।
उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प वस्तुओं का उत्पादन ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अपने घरेलू कामकाज निपटाने के साथ ही घर बैठे हस्तशिल्प वस्तुओं को तैयार कर सकती हैं। महिलाएं इस क्षेत्र का एक बहुत बड़ा कार्यबल है और वे कुल कार्यबल का 50 प्रतिशत हिस्सा है।