संपादकीय: संसद में रिकॉर्ड बनना सुखद

It is nice to have a record in Parliament
It is nice to have a record in Parliament: एक लंबे समय का के बाद संसद के बजट सत्र में सुचारू रूप से काम हुआ और इस बजट सत्र के दौरान कुल 26 बैठकें हुई। जो एक नया कीर्तिमान है। निश्चित रूप से संसद के बजट सत्र में कामकाज का रिकॉर्ड बनना सुखद है। इस बार बजट सत्र के दौरान हालांकि विपक्ष ने जनहित से जुड़े मुद्दो को लेकर संसद में हंगामा जरूर किया लेकिन इससे संसद के काम काज में आंशिक रूप से ही व्यवधान पड़ा।
बजट पर भी संसद के दोनों सदनों में लंबी चर्चा हुई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने खुलकर अपने विचार व्यक्त किये। संसद सत्र की समाप्ति के दो दिन पहले ही बहुप्रतिक्षित वक्फ संसोधन विधेयक पहले लोकसभा में और फिर राज्यसभा में पेश किया गया। इस विधेयक पर ही लंबी चर्चा हुई। लोकसभा में वक्फ बिल पर 14 घंटे चर्चा हुई और राज्यसभा में तो वक्फ बिल पर 17 घंटे तक चर्चा हुई।
जहां सुबह चार बजे तक सदन की कार्यवाही बिना किसी बाधा और स्थगन के चलती रही। यह भी एक नया रिकॉर्ड है। इसके पहले किसी भी विधेयक पर इतनी लंबी चर्चा कभी नहीं की गई थी। इसके लिए संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजु ने सभी राजनीतिक दलों के सांसदों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया है।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले संसद की कार्यवाही हंगामों की भेंट चढ़ती रही है। पिछले कुछ सालों से संसद में काम कम होता था और शोर शराबा ज्यादा हुआ करता था। जिसके चलते अनेक महत्वपूर्ण विधेयक अधर में लटक जाते थे। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में जुबानी जंग ही देखने को मिलती थी। यहां तक की सदन में प्रश्नकाल भी नहीं हो पाता था।
नतीजतन देश के विभिन्न संसदीय क्षेत्रों से निर्वाचित सांसद अपने लोकसभा क्षेत्र की समस्याओं को भी सदन में नहीं उठा पाते थे। पूर्व अनुभवों को देखते हुए यही लग रहा था कि संसद का बजट सत्र भी हंगामों की भेंट चढ़ जाएगा। खासतौर पर वक्फ संसोधन विधेयक को लेकर संसद में कोहराम मचने की आशंका व्यक्त की जा रही थी। लेकिन ऐसी सारी आशंकाएं निर्मूल सिद्ध हुई। वक्फ बिल पर लोकसभा और राज्यसभा दोनो में ही सार्थक चर्चा हुई।
विपक्ष के नेताओं ने भी इस बिल के खिलाफ खुलकर अपने विचार रखे और सत्ता पक्ष के सांसदों ने इस बिल के समर्थन में तार्किक बयान दिए। दोनों ही सदनों में वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान कोई अप्रिय स्थिति नहीं बनी। अससुद्दीन ओवैसी ने जरूर वक्फ बिल पर अपना ऐतराज जताते हुए वक्फ विधेयक की स्ट्रेपल पिन निकालकर उसके पन्ने बिखेर दिये लेकिन उन्होंने भी वक्फ विधेयक को फाडऩे की दृष्टता नहीं दी।
वक्फ बिल पर लंबी चर्चा के बाद शांतिपूर्ण तरीके से मतदान भी हुआ और दोनों ही सदनों में वक्फ बिल बहुमत से पारित हो गया। भले ही इस बिल को लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा लेकिन सभी ने संसद की गरिमा को बनाए रखा। निश्चित रूप से यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत है।
इससे यह उम्मीद भी जगी है कि संसद के आगामी सत्रों में भी इसी तरह सत्ता पक्ष और विपक्ष संसदीय परंपराओं का पालन करेंगे और संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाएंगे। ताकि संसद के सत्र हंगामों की भेंट न चढें और वहां जनहित से जुड़े मुद्दे उठाये जाएं और महत्वपूर्ण विधेयकों पर सार्थक चर्चा हो सके।