संपादकीय: बांग्लादेश को सबक सिखाना जरूरी
It is necessary to teach Bangladesh a lesson: पाकिस्तान की राह पर चले बांग्लादेश को सबक सिखाना निहायत जरूरी हो गया है। बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब तो वहां सर तन से जुदा के नारे भी खुलेआम लगाये जा रहे है। वहां के हिन्दुओं के सामने जीवन मरण का प्रश्न उठ गया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार स्थिति को सुधारने में कोई पहल नहीं कर रही है। उल्टे बांग्लादेश की पुलिस और सेना भी कट्टरपंथी ताकतों की मदद कर रही है।
बांग्लादेश के हिन्दु अपनी रक्षा की गुहार लगा रहे है लेकिन भारत सरकार भी उनकी आवाज नहीं सुन रही है। भारत अभी भी सदाशयता का परिचय दे रहा है। और बांग्लादेश सरकार से हिन्दुओं की रक्षा के लिए कदम उठाने की मांग कर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर रहा है। जबकि बांग्लादेश के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने में उसे नहीं हिचकना चाहिए। संसद में भी अन्य तमाम मुद्दो की चर्चा हो रही है। लेकिन बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के मामले में हमारे माननीय मौन धारण किये हुए है।
सभी विपक्षी पार्टियां इस मामले में चुप्पी साधी हुई है जो हैरत की बात है। अलबत्ता बांगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने जरूर इस मामले को लेकर तिखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि वह बांग्लादेश के खिलाफ तत्काल कड़े कदम उठाये। बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार का मामला संयुक्त राष्ट्र में उठाये और वहां शांति सेना भेजने की मांग करें। ममता बनर्जी ने कहा है कि यह दो देशो के बीच का मामला है इसलिए वे बंगाल की मुख्यमंत्री होने के नाते कुछ नहीं कर सकती। लेिकन केन्द्र सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए। और बांग्लादेश में रहने वाले लगभग डेढ़ करोड़ हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए।
ममता बनर्जी की यह मांग वाजिब है और इससे प्रेरणा लेकर सभी विपक्षी पार्टियों को सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि वह बांग्लादेश के मामले में धूलमूल रवैया छोड़े और कारगर कदम उठाये। सोशल मीडिया पर भी लोगों का ओक्रोश अब फूटने लगा है। साधु संतो ने भी इस पर गंभीर चिन्ता जताते हुए भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह बांग्लादेश के हिन्दुओं की रक्षा के लिए यथासिद्ध प्रभावी पहल करे। किन्तु अभी तक भारत सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
लोग समझ नहीं पा रहे है कि बांग्लादेश जैसा एक छुटभैया देश वहां रह रहे हिन्दुओं पर अत्याचार करने का दुहसाहस दिखा रहा है और भारत जैसा शक्तिशाली देश उसके खिलाफ क्यों कोई कड़े कदम नहीं उठा पा रहा है। भारत को इजरायल से सबक सिखना चाहिए जो अपने नागरिकों की रक्षा के लिए लगातार जंग लड़ रहा है। यह ठीक है कि भारत बांग्लादेश के खिलाफ सैन्य कार्यवाही करने से पहले कई बार सोचने पर बाध्य होगा लेकिन भारत सरकार बांग्लादेश को सब सिखाने के लिए उसके साथ अपने व्यापारिक और राजनयिक संबंध को तोड़़ ही सकती है।
भारत अभी भी तो इतना ही कर ले तो भी बांग्लादेश घुटनों पर आ जायेगा। बांग्लादेश के सामने भी पाकिस्तिान का उदाहरण है कि जिसके साथ भारत ने अपने व्यवसायिक संबंध तोड़ लिये तो वहां की पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो गई और महंगाई में लोगों का जीना मुहाल कर दिया। पाकिस्तान को तो खैर चीन का सहयोग भी मिल रहा है। जिसकी वजह से वहां भूखमरी के हालात पैदा नहीं हुए है। लेकिन बांग्लादेश तो भूखो मरने पर बाध्य हो जायेगा। बहरहाल बांग्लादेश में हिंसा का तांडव बहुत हुआ।
अब वहां हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा रूकनी ही चाहिए और इसके लिए भारत को कड़े से कड़े कदम जल्द से जल्द उठाने चाहिए। ममता बनर्जी की मांग के अनुसार भारत को यह मामला संयुक्त राष्ट्र में ले जाना चाहिए और बांग्लादेश मे संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना भेजने की मांग पूरजोर ढंग से उठानी चाहिए तभी बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हो रही हिंसा बंद होगी।