संपादकीय : आतंकवाद की जड़ पर प्रहार जरूरी
It is necessary to attack the root of terrorism : जम्मू कश्मीर में 370 के खात्में के बाद से आतंकवादी घटनाओं पर प्रभावी रोक लगी थी। तथाकथित भटके हुए नौजवानों ने पत्थरबाजी से तौबा कर ली थी। इसके बाद से यह माना जा रहा था कि जम्मू कश्मीर से अब आतंकवाद का पूरी तरह से खात्मा होना महज कुछ समय की ही बात रह गई है। इस बीच आतंवादियों ने टारगेट किलिंग जरूर की और गैर कश्मीरियों को निशाना बनाया।
इस बीच भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने आपरेशन ऑल आउट चलाकर बड़ी संख्या में आतंवादियों को जहन्नुम रसीद कर दिया। आतंकवादियों के सरगना एक के बाद एक मुठभेड़ में मारे जाने लगे। इसके बाद बचे खुचे आतंकवादी (attack the root of terrorism) बौखला गए और अब वे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। जम्मू कश्मीर मेें चार दिनों के भीतर चार आतंकी हमले होना इसी बात का प्रमाण है कि वहां सक्रिय आतंकवादी एक बार फिर जम्मू कश्मीर को अशांत करने की आखिरी कोशिश कर रहे हैं।
रियासी में तीर्थयात्रियों की एक बस पर हमला करके उन्होंने कश्मीर में दहशत फैला दी। इसके बाद भी वे रूके नहीं और डोडा जिले में तीन स्थानों पर जिसकी वजह से सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हो गया और आधा दर्जन जवान जख्मी हो गए। हलांकि मुठभेड़ में दो आतंकवादी भी मारे गए हैं लेकिन अभी भी इन हमलों के जिम्मेदार कुछ आतंकवादी कहीं छिप गए हैं। जिनकी तलाश के लिए सर्च अभियान चलाया जा रहा है।
गौरतलब है कि इसी माह अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने जा रही है। अमरनाथ यात्रा पहले भी आतंकवादियों केे निशाने पर रही है। इस बार भी वे अमरनाथ यात्रियों पर हमला करने की योजना बना सकते हैं। यही वजह है कि अब जम्मू कश्मीर में सेना और सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ा दी गई है। चप्पे चप्पे पर उनकी तैनाती की गई है। चार दिन में चार आतंकी हमलों के कारण पूरा देश गुस्से से उबल रहा है। आतंकवाद(attack the root of terrorism) की जड़ पर प्रहार करने की मांग उठ रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे गंभीरता से लिया है और उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के अलावा अन्य उच्च अधिकारियों के साथ एक बैठक कर जम्मू कश्मीर की हालातों की समीक्षा की है। पीएम मोदी ने स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद (attack the root of terrorism) विरोधी कार्यवाही में पूरी ताकत झोंक दी जाए। इसके बाद से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एक्शन में आ गए हैं और जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के मददगारों की भी खबर ली जा रही है।
अब तक 50 से ज्यादा स्थानीय लोगों को हिरासत मेें लेकर उनसे कड़ाई पूर्वक पूछताछ की जा रही है। वास्तव में जम्मू कश्मीर में जो मुटठीभर आतंकवादी बचे हुए हैं। उन्हें कुछ अलगाववादी स्थानीय लोगों का ही सहयोग मिल रहा है। ऐसे आस्तीन के सांपों की पहचान कर उनके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करनी होगी। तभी जम्मू कश्मीर को आतंकवाद (attack the root of terrorism) के अभिशाप से मुक्त कराया जा सकेगा।
इन आतंंकी घटनाओं में पड़ोसी देश पाकिस्तान का हाथ होने के भी सबूत मिल गए हैं। इसलिए अब पाकिस्तान को भी उसी की भाषा में एब बार फिर करारा जवाब देना निहायत जरूरी हो गया है। यह काम जितनी जल्दी हो उतना ही अच्छा है।