जानना जरूरी है…. क्या है रेपो रेट, रेपो रेट बढ़ने पर क्यों बढ़ जाती है आपकी ईएमआई ? पढ़े विस्तार से…
-Repo Rate: रिजर्व बैंक ने गुरुवार को रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला किया
-ब्याज दर 6.50 फीसदी पर रहेगी
मुंबई। Repo Rate: रिजर्व बैंक ने गुरुवार को रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला किया। यानी ब्याज दर 6.50 फीसदी पर रहेगी। रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीति बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी में रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी और अब यह 6.50 फीसदी है।
रेपो रेट में किसी भी बदलाव का कर्जदारों पर भारी असर पड़ता है। आइए विस्तार से देखें कि आरबीआई रेपो रेट क्या है और यह ईएमआई को कैसे प्रभावित कर सकता है।
रेपो रेट में बदलाव से क्या होता है?
मुद्रास्फीति से लडऩे के लिए रेपो रेट आरबीआई का एक शक्तिशाली उपकरण है। जब मुद्रास्फीति बहुत अधिक होती है, तो रिज़र्व बैंक रेपो दर बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में धन के प्रवाह को कम करने का प्रयास करता है। अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों के लिए आरबीआई से पैसा उधार लेना महंगा हो जाएगा।
इसलिए बैंक भी अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह कम हो जाता है। यदि धन प्रवाह कम है, तो मांग कम है और मुद्रास्फीति कम है। इसी तरह, जब अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजरती है, तो रिकवरी के लिए धन प्रवाह में वृद्धि की आवश्यकता होती है। आरबीआई (RBI) ने महंगाई से निपटने के लिए पिछले साल मई से रेपो रेट बढ़ाना शुरू किया था। इसके बाद बैंक ने अप्रैल और जून में रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा।
लोन कैसे प्रभावित होता है
रेपो रेट एक तरह का बेंचमार्क है, जिसके जरिए दूसरे बैंक आम जनता को दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दर तय करते हैं। होम लोन और ईएमआई रेपो रेट से तय होते हैं। जैसे ही रिजर्व बैंक रेपो रेट में बदलाव करता है, वाणिज्यिक बैंकों की ब्याज दरों में भी बदलाव होता है।
रेपो रेट बढऩे से होम लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी क्योंकि बैंक अपनी ब्याज दरें बढ़ा देंगे। यानी कर्जदार की जेब पर बोझ बढ़ेगा। अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट घटाता है तो बैंकों को भी अपनी ब्याज दरें कम करनी पड़ती हैं। इसका मतलब है कि ग्राहक पर इस ईएमआई का बोझ कम हो गया है।