संपादकीय: क्या पंजाब में कुछ बड़ा होने वाला है
Is something big going to happen in Punjab?: नई दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सत्ता से बाहर होने के बाद से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या अब पंजाब में कुछ बड़ा होने वाला है। इन अटकलों को उस समय और मजबूती मिली जब आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान सहित पंजाब के सभी मंत्रियों, विधायकों और सांसदों की नई दिल्ली में बैठक बुला ली।
अचानक बुलाई गई इस बैठक के कारण पंजाब सरकार की होने वाली केबिनेट की मीटिंग स्थगित करनी पड़ी पंजाब के आम आदमी पार्टी के विधायकों की आनन फानन में बुलाई गई इस बैठक के बाद नई दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है हालांकि आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार होने के कारणों की समीक्षा की जा रही है और इसी सिलसिले में पंजाब के नेताओं को बुलाया गया है ताकि उनके साथ भी चर्चा की जा सकें। किन्तु आम आदमी पार्टी के नेताओं का यह तर्क किसे के गले नहीं उतर रहा है।
यह कयास लगाये जा रहे हैं कि नई दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो खुद भी चुनाव हार गये हैं वे अब पंजाब का रूख करने पर विचार कर रहे हैं। संभवत: वे पंजाब के विधायकों का मन टटोलने के लिए ही यह बैठक कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 2013 में जब पंजाब में पहली बार आम आदमी पार्टी पूरी ताकत लगाकर विधानसभा चुनाव में उतरी थी तब एक आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने यह बयान दिया था कि यदि पंजाब में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिला तो अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे।
यह अगल बात है कि उस समय आम आदमी पार्टी को पंजाब में बहुमत नहीं मिला था दूसरे चुनाव में जब आम आदमी पार्टी ने भगवंत सिंह मान को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा तो आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला। इस समय पंजाब में आम आदमी पार्टी के 92 विधायक हैं और भगवंत सिंह मान की सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन पंजाब के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने दावा किया है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के 30 से ज्यादा विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं और पंजाब में आाम आदमी पार्टी टूट सकती है। वहीं कांग्रेस के एक सांसद ने भी यह दावा किया है कि अरविंद केजरीवाल के पंजाब का रूख करने की संभावना के कारण पंजाब में आम आदमी पार्टी के टूटने के आसार नजर आ रहे हैं और पंजाब में भगवंत सिंह मान की सरकार गिर सकती है।
तथा मध्यावधि चुनाव की नौबत आ सकती है। दरअसल नई दिल्लाी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ढेड़ दर्जन सीटों पर आम आदमी पार्टी का खेल बिगाड़ा है। अब कांग्रेस की नजर पंजाब पर है। जहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होता रहा है।
पंजाब में अभी तक भाजपा अपने पैर नहीं जमा पाई है। भाजपा को अकाली दल के साथ ही चुनाव लडऩा पड़ा था किन्तु पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और आकली दल का गठबंधन टूट गया था और दोनों ही अलग होकर अपने बलबूते पर चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों को मात्र दो-दो सीटों पर संतोष करना पड़ा था। जबकि आम आदमी पार्टी की आंधी चलने के बावजूद कांग्रेस 16 सीटें जितने में सफल हुई थी। यही वजह है कि अब कांग्रेस पार्टी ने पंजाब पर अपनी निगाहें लगा रखी है। क्योंकि भाजपा और अकाली दल के मुकाबलें कांग्रेस पंजाब में ज्यादा मजबूत है।
ऐसे में कांग्रेस वहां कोई खेला कर सकती है। इस बारे में कांग्रेस नेताओं के बयानों के कारण भी अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के नेताओं की बैठक बुलाई हो सकती है। ताकि पंजाब के आम आदमी पार्टी के विधायकों को एकजुट रखा जाये। एक संभावना तो यह भी जताई जा रही है कि यदि अरविंद केजरीवाल को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने के लिए आम आदमी पार्टी के विधायक सहमत नहीं होते तो अरविंद केजरीवाल पंजाब से किसी राज्यसभा सदस्य का इस्तीफा दिलाकर पंजाब से राज्यसभा में प्रवेश करें। इसके लिए भी वे विधायकों के साथ रायशुमारी कर सकते हैं।
अरविंद केजरीवाल चुनाव हारने के बाद खाली तो नहीं बैठने वाले हैं। बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि अरविंद केजरीवाल अब आगे क्या कदम उठाते हैं। उनके सामने नई दिल्ली के अपने 22 विधायकों को संभालने की भी बड़ी चुनौती है क्योंकि इनमें से कुछ विधायकों के टूटने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
अब पंजाब के विधायकों के भी टूटने की संभावना से अरविंद केजरीवाल के लिए मुसीबतें और बढ़ गई हैं। यदि कांग्रेस पंजाब के आम आदमी पार्टी के विधायकों को तोडऩे में सफल हो जाती है तो मान सरकार के गिरने का खतरा पैदा हो जाएगा।