IPO Fund Raising India : आईपीओ से रिकॉर्ड जुटान, नवंबर तक 83 कंपनियों ने 1.3 लाख करोड़ जुटाए

IPO Fund Raising India

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चालू वित्त वर्ष में घरेलू शेयर बाजारों में फंड जुटाने की गतिविधियां लगातार मजबूती दिखा रही हैं। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की एक रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2025 तक 83 कंपनियां आरंभिक सार्वजनिक निर्गम यानी आईपीओ (IPO Fund Raising India) के माध्यम से 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटा चुकी हैं। ये सभी आईपीओ मेन बोर्ड यानी मुख्य एक्सचेंज से जुड़े रहे, जिससे बाजार में बड़े और मजबूत निर्गमों की बढ़ती हिस्सेदारी स्पष्ट होती है।

रिपोर्ट के मुताबिक इन आईपीओ में 41 प्रतिशत हिस्सेदारी नए शेयरों की रही, जबकि 59 प्रतिशत हिस्सा प्रमोटर शेयरों की बिक्री यानी ऑफर फॉर सेल के रूप में सामने आया।

नए शेयरों के जरिये पूंजी जुटाने का अर्थ है कि कंपनियां नए शेयर जारी कर सीधे अपने कारोबार के लिए पूंजी प्राप्त करती हैं। इस राशि का उपयोग वे उत्पादन क्षमता बढ़ाने, नई परियोजनाओं में निवेश करने, विस्तार योजनाओं को गति देने या पुराने कर्ज चुकाने में करती हैं।

वहीं ऑफर फॉर सेल के तहत कंपनी के मौजूदा प्रमोटर या शुरुआती निवेशक अपने शेयर बाजार में बेचते हैं। इस प्रक्रिया में जुटाई गई राशि सीधे प्रमोटर को जाती है,

लेकिन इससे शेयरों में सार्वजनिक भागीदारी बढ़ती है और बाजार में तरलता आती है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आईपीओ (IPO Fund Raising India) के माध्यम से जुटाई गई पूंजी ने भारतीय शेयर बाजार को नई मजबूती प्रदान की है।

इन सभी नई सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण अब 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। यह आंकड़ा घरेलू पूंजी बाजारों में हाल के वर्षों में आई गहराई और विस्तार को दर्शाता है।

साथ ही यह संकेत देता है कि भारतीय बाजार बड़े पैमाने के आईपीओ को आकर्षित करने और विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों को पूंजी उपलब्ध कराने में सक्षम हो रहे हैं।

इस अवधि में छोटे और मध्यम उद्यमों की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही है। एनएसई के एसएमई इमर्ज प्लेटफॉर्म पर 80 कंपनियां सूचीबद्ध हुईं, जिन्होंने कुल 3,911 करोड़ रुपये जुटाए।

एसएमई श्रेणी में लगभग 95 प्रतिशत राशि नए शेयरों के माध्यम से जुटाई गई, जिससे स्पष्ट होता है कि यह प्लेटफॉर्म छोटे और मध्यम उद्यमों को विकास के लिए पूंजी उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आईपीओ (IPO Fund Raising India) के प्रति निवेशकों का बढ़ता भरोसा, मजबूत आर्थिक संकेतक और नियामकीय स्थिरता आने वाले समय में भी प्राथमिक बाजार को सक्रिय बनाए रखेगी। इससे न केवल कंपनियों को विस्तार का अवसर मिलेगा, बल्कि निवेशकों के लिए भी नए विकल्प उपलब्ध होंगे।