Interview: विधानसभा या लोकसभा चुनाव में कोई दबाव नहीं रहा : रीना बाबा साहेब कंगाले

Interview: विधानसभा या लोकसभा चुनाव में कोई दबाव नहीं रहा : रीना बाबा साहेब कंगाले

There was no pressure in the assembly or Lok Sabha elections: Reena Baba Saheb Kangale

Reena Baba Saheb Kangale

सृजन से देश के निर्माण तक की जिम्मेदारियां निभाने का हुनर रखती हैं महिलाएं
बस्तर संभाग में लगभग 120 गांवों में स्वतंत्रता के बाद पहली बार मतदान कराया

रायपुर/नवप्रदेश। Reena Baba Saheb Kangale: नक्सलवाद से पीडि़त छत्तीसगढ़ में एक महिला अफसर ने दो-दो अहम चुनाव निर्विघ्न संपन्न कराकर नया इतिहास रच दिया हैं। उनका डंका पूरा देश में बज रहा हैं। धूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने वाली मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा साहेब कंगाले के लिए यह काम भले ही रूटिन का रहा हो लेकिन चुनाव आयोग ने मात्र 11 लोकसभा सीटों वालें इस राज्य में तीन चरणों में चुनाव कराए।

इससे राज्य की संवेदनशीलता को समझा जा सकता हैं। दो महत्वपूर्ण चुनाव शान्तिपूण ढंग से संपन्न होने का बाद 4 जून को मतगणनाा की तैयारी हैं। लगभग तीन करोड़ की आबादी वाले राज्य की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (Reena Baba Saheb Kangale) के रूप में आई चुनौतियों से निपटते हुए कैसे चुनाव कराए और मतगणना की क्या तैयारियां हैं इन सभी मसलो पर दैनिक नव प्रदेश के प्रधान संपादक यशवंत धोटे ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा साहेब कंगाले से बातचीत की प्रस्तुत प्रमुख अंश :-


प्रश्न : विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बीच चार महिने के अन्तराल में नक्सलवाद से पीडि़त छत्तीसगढ़ जैसे नवगठित राज्य में लोकसभा के चुनाव कराए। किस तरह की दिक्कतें आई और उनसे कैसे निपटा आपने?
उत्तर :
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभ्यर्थी और उनके अभिकर्ता तथा राजनैतिक पार्टियों के पदाधिकारियों को चुनाव प्रचार हेतु पर्याप्त सुरक्षा मुहैय्या कराना एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता थी। राजनीतिक पार्टियों को यह विश्वास दिलाना की कानून व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है और पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति के नियंत्रण में होने पर ही निर्वाचन कराया जाएगा। यह विश्वास हासिल करना चुनौतीपूर्ण रहा। हमने बस्तर संभाग में लगभग 120 गांवों में स्वतंत्रता के बाद पहली बार मतदान कराया। इससे मतदाताओं में काफी उत्साह था और इसका परिणाम भी अच्छा मिला। विधानसभा में 2.78 प्रतिशत और लोकसभा में बस्तर में पिछली बार से 2.15 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ।


प्रश्न :- विधानसभा चुनाव तो आसानी से एक चरण में संपन्न हो गये थे, लेकिन लोकसभा चुनाव तीन चरणों में हुआ। जिसमें एक चरण में एक ही सीट बस्तर की थी जिसे नक्सल प्रभावित माना जाता है। इस बार यहां मतदान कम हुआ कुछ कारणों का पता चला क्या?
उत्तर : लोकसभा निर्वाचन के प्रथम चरण में बस्तर क्षेत्र में भी मतदान का प्रतिशत 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2.25 प्रतिशत बढ़ा है। 2019 में बस्तर में 66.04 प्रतिशत मतदान हुआ था, वहीं इस बार 2024 में 68.29 प्रतिशत मतदान हुआ।


प्रश्न:- लोकसभा चुनाव में ऐसी क्या दिक्कत आई जिसने आपको सबसे ज्यादा परेशान किया हो?
उत्तर : कोई विशेष दिक्कतें नहीं आई और ना ही चुनाव आचार संहिता को उल्लंघन को लेकर किसी तरह की शिकवा शिकायतें हुई जिसने परेशान किया हो। हमारी कोशिश थी कि प्रत्येक मतदाता बूथ पर पहुंचे और निर्भय होकर मतदान करें, इसमें हम सफल हुए। इसलिए ये नहीं कह सकते किसी भी कारण ने हमें परेशान किया।


प्रश्न:- तीन चरणों में लोकसभा चुनाव कराने के लिए मैनपावर और फोर्स को किस तरह से मैनेज किया कि कही भी कोई अप्रिय घटना जैसी चूक नहीं हुई?
उत्तर : तीन चरणों में लोकसभा चुनाव कराने के लिए मैनपावर और फोर्स की मदद से निर्विघ्र चुनाव संपन्न कराया गया। इसमें पहले चरण में मतदान कर्मी 7844, रिजर्व 2020, सेक्टर ऑफिसर 307, दूसरे चरण में मतदान कर्मी 26,268, रिजर्व 6,639 तथा सेक्टर ऑफिसर 715, तीसरे और अंतिम चरण में 61,664 मतदान कर्मी, 15,928 रिजर्व, और सेक्टर ऑफिसर 1658 थे जिनके माध्यम से चुनाव संपन्न कराया गया। पहले चरण में फोर्स की 350 कंपनी, दूसरे चरण में 222 कंपनी और तीसरे चरण में 202 कंपनी चुनावी मैदान में सुरक्षा के लिए तैनात थी। इन सुरक्षाबलों की कंपनियों में केन्द्रीय सुरक्षाबलों जैसे, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एससबी, छत्तीसगढ़ एसएपी, मध्यप्रदेश एसएपी, अरूणाचल प्रदेश एसएपी, वेस्ट बंगाल एसएपी और आसाम एसएपी की 111 कंपनियों का डायरेक्ट तैनाती की गई। इसी तरह केन्द्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती छत्तीसगढ़ में तैनात सुरक्षा बलों में से हुई।


प्रश्न: बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हुआ इसमें किस तरह के संसाधनों की जरूरत पड़ी?
उत्तर : पहली बार ऐसा हुआ कि अर्ध सैनिक बलों की कंपनियों द्वारा अगल-बगल के राज्यों से होमगार्ड भी आए। लगभग 156 मतदान केन्द्रों के मतदान दलों को हेलिकाप्टर से परिवहन कराया गया। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग ने कुल 10 एमआई, 17 हेलिकाप्टर उपलब्ध कराए थे। हेलिकाप्टर की लैंडिग के लिए 44 हेलिकाप्टर बेस तैयार किए गए थे। साथ ही मतदान दलों और सुरक्षाबलों को इंमरजेंंसी में मेडिकल फैसिलिटी के लिहाज से दो एयर एबुलेंस, एक चार्टर प्लेन तैयार था।

प्रश्न:- एक महिला अधिकारी कलेक्टर से कमिश्नर या मंत्रालय में सचिव की जिम्मेदारी को प्राथमिकता देती है, ऐसे में आपने एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार की और उसे मुकाम तक पहुंचाया कैसे संभव हो पाया?
उत्तर: परिवार का संपूर्ण सहयोग रहा। मेरी माताश्री गृहणी है परंतु प्रशासनिक अधिकारियों के व्यस्ततम कार्यक्रम को बेहतर समझती है। उनका बहुत सहयोग मिला। महिलाओं को श्रृष्टि ने कुछ नैसर्गिंक शक्तियां दी है। वो श्रृष्टि के सृजन से देश के निर्माण तक सभी जिम्मेदारियां बखूबी निभाने का हुनर रखती है।


प्रश्न : विधानसभा और लोकसभा के चुनाव आपने संपन्न कराए इस दरम् यान किसी तरह का कोई राजनीतिक दबाव?
उत्तर: दोनों ही चुनाव में किसी तरह का कोई दबाव नहीं रहा। संपूर्ण निष्पक्षता और पार्दर्शिता से काम करना ही मेरे दायित्वों में शामिल हैं।
प्रश्न:- अब शांतिपूर्ण मतगणना भी एक चुनौती है इसकी क्या तैयारी है?
उत्तर: मतगणना सभी 33 जिलों में शांतिपूर्वक संपन्न हो, इसके लिए पर्याप्त तैयारी की गई है। मतगणना सेंटर में आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था एवं काउंटिंग हॉल की तैयारी लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। सभी अभ्यर्थियों को मतगणना की तिथि, समय और स्थान के संबंध में जानकारी दी जा चुकी है। मतगणना पर्यवेक्षक, सहायक, माइक्रोआब्र्जवर एवं अन्यकर्मियों को जिला स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार सभी मतगणना सेंटर में ईवीएम काउंटिंग हेतु मशीनों के मॉनीट्रिंग और वीडियोंग्राफी की जाएगी। साथ ही टेबल पर स्टेशनरी आवश्यक प्रपत्र, कैकुलेटर एवं सीलिंग संबंधी कार्यवाही हेतु सभी जरूरी तैयारियां लगभग पूर्णता की ओर है।

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