संपादकीय: भारत की बेटियों ने फिर रचा नया इतिहास
India's daughters have once again created new history
Editorial: पिछले माह ही वूमेन्स वल्र्ड कप जीतकर भारतीय महिला टीम ने नया इतिहास रचा था और अब एक बार फिर दृष्टि बाधित भारतीय महिलाओं ने वूमेन्स बलाइंड टी-20 वल्र्डकप जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। भारत की वे बेटियां जो अपनी आखों से दुनिया नहीं देख सकती। उन्होंने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि भारत की बेटियां किसी भी क्षेत्र में किसी से कम नहीं है।
विमेन्स ब्लाइंड टी-20 वल्र्ड कप के सभी मैच भारतीय शेरनियों ने शानदार तरीके से जीते उसने आस्ट्रेलिया, श्रीलंका, अमेरिका और पाकिस्तान को हराकर फाइनल में स्थान बनाया और फाइनल मैच में नेपाल के खिलाफ एकतरफा जीत दर्ज करके नया इतिहास रच दिया। दृष्टि बाधित इन भारतीय बेटियों के जज्बे को सलाम जिनकी सफलता पर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीम कौर ने ट्रवीट किया है कि जिस तरह वल्र्ड कप जीतने पर हमें पूरे देश में प्यार और आर्शिवाद दिया था उसी तरह इन दृष्टिबाधित बेटियों को भी पूरा देश आर्शीवाद दे।
भारतीय टीम की कामन संभालने वाली दीपिका और उनकी टीम की सभी खिलाडिय़ों को दिल से सलाम। इसी तरह भारत की बेटियों ने विश्व मुक्केबाजी कप में भी भारत का परचम लहरा दिया है। 51 किलो ग्राम वर्ग में भारतीय मुक्केबाज निकखहत जरीन ने चीन बाक्सर को 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया है। इस मुककेबाजी में भारत की बेटियों ने कुल सात पदक हासिल कर नया कीर्तिमान रचा है। इस तरह भारतीय छोरियों ने साबित कर दिया है कि वाकई वे छोरो से कम नहीं है।
