Indian Mouse Deer : विश्व का सबसे दुर्लभ हिरण पहुंचा बचेली के रिहायशी इलाके में...हड़कंप

Indian Mouse Deer : विश्व का सबसे दुर्लभ हिरण पहुंचा बचेली के रिहायशी इलाके में…हड़कंप

Indian Mouse Deer: World's rarest deer reached the residential area of ​​Bacheli...

Indian Mouse Deer

बचेली/डीएम सोनी/नवप्रदेश। Indian Mouse Deer : 22 जुलाई की देर रात को जंगल से भटकते हुए विश्व की सबसे छोटी हिरण रिहायशी इलाके में पहुंच गए थे। लोगों की सूचना पर वनकर्मी पहुंचे और दुर्लभ हिरण को पकड़कर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया।

Indian Mouse Deer: World's rarest deer reached the residential area of ​​Bacheli...

दुर्लभ हिरण छुपने में माहिर

इस हिरण की खासियत के बारे में पर्यावरण प्रेमी अमित मिश्रा ने बताया कि यह है कि यहअत्यंत दुर्लभ प्रजाति का हिरण है। इंडियन माउस डियर (इंडियन स्पॉटेड शेवरोटेन) जिसका वैज्ञानिक नाम मोसियोला इंडिका हैं। ये विश्व की सबसे छोटी हिरण की प्रजाति मानी जाती हैं। इसकी लंबाई 57.5 cm होती हैं और वज़न 3 किलोग्राम के आस पास होता हैं। ये रात में निकलने वाला जीव हैं।

यह बहुत मुश्किल से ही देखने को मिलता हैं। यहां तक की कैमरा ट्रैप (Indian Mouse Deer) में भी इसकी कम ही तस्वीरे हैं। ये छुपने में बहुत माहिर होता हैं। जंगल में इसे देख पाना भी आसान नहीं होता यहीं कारण हैं, कि इसके बैलाडीला में होने की जानकारी अब तक नहीं थी।

बचेली के सुभाष नगर में रात के समय जंगल से भटकते एक दुर्लभ प्रजाति का हिरण बहार आ गया था। जिसकी सूचना वहां के लोगों ने वन विभाग को दी। समय न गंवाते हुए बचेली वन परिक्षेत्र अधिकारी आशुतोष मांडवा ने अपनी टीम लेकर पहुंचे। डिप्टी रेंजर अघन श्याम भगत, बीट ऑफिसर राजेश कर्मा समेत वन कर्मियों ने दुर्लभ हिरण को रिहायशी इलाके से निकालकर कार्यालय पहुंचाया।

26 जुलाई को जंगल में सुरक्षित छोड़ा

वन परिक्षेत्र अधिकारी आशुतोष मांडवा नें बताया की घटना की सूचना उच्च अधिकारियों को दी गई। अधिकारी ने बताया कि जब हिरण उन्हें मिला था तब वह चोटिल होने के साथ घबराया हुआ था, लिहाजा रायपुर जंगल सफारी के पशु चिकित्सक से परामर्श कर बचेली के पशु चिकित्सक ने हिरण की जांच की। पूरी तरह ठीक होने के बाद उसे 26 जुलाई को जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया।

इस दौरान हिरणों (Indian Mouse Deer) के लिए विशेष फ़ूड, जिसमें प्रतिदिन जंगली घास, अमरूद, डूरमैन व अन्य फलों की व्यवस्था की जाती थी। इस काम में वन विभाग के कर्मचारियों अमित मिश्रा, अक्षय मिश्रा, मनोज हलधर, मनोज कश्यप और दीपक ठाकुर ने इस कार्य में विशेष योगदान दिया।

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