स्वतंत्रता दिवस 2023: मणिपुर के नागरिकों के साथ शांति से ही होगा समस्या का समाधान: PM नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया भरोसा
नई दिल्ली। India Celebrates 77th Independence Day: 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोद ने अपने संबोधन में कहा पिछले कुछ हफ़्तों में पूर्वोत्तर भारत में, विशेषकर मणिपुर में, और भारत के अन्य हिस्सों में, लेकिन मुख्य रूप से मणिपुर में, जो हिंसा हुई। कई लोगों की जान चली गई। मां-बहनों की इज्जत के साथ क्या हुआ। लेकिन पिछले कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं। देश मणिपुर के नागरिकों के साथ है।
पिछले कुछ दिनों में मणिपुर ने जो शांति कायम की है। इसे कायम रखना चाहिए, क्योंकि इसी से संतुष्टि मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने आज मणिपुर के नागरिकों को आश्वासन दिया कि सरकार उचित प्रयास भी कर रही है और करती रहेगी। वह 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से लगातार 10वीं बार तिरंगा फहराने के बाद उपस्थित नागरिकों को संबोधित कर रहे थे।
इस समय देश के कई भागों में प्राकृतिक आपदाएँ आयीं। जिनका सामना करना पड़ा। पीडि़त लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं। इस संकट से बाहर निकलने के लिए राज्य और केंद्र सरकार मिलकर काम करेंगी और हम एक बार फिर विकास के पथ पर आगे बढ़ेंगे।
घटना छोटी भी हो तो बाद में समस्या बन जाती है…
मोदी ने कहा, ‘जब हम इतिहास पर नजर डालते हैं तो इतिहास में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जो अमिट छाप छोड़ जाती हैं और उनका प्रभाव सालों तक रहता है। कभी-कभी यह बहुत छोटी घटना लगती है। लेकिन बाद में यही कई समस्याओं की जड़ बन जाती है। हजार बारह सौ वर्षों पहले इस देश पर आक्रमण हुआ था।
एक छोटे से राजा को हराया गया था। लेकिन तब यह नहीं पता था कि एक घटना हज के वर्ष में भारत को गुलामी में फंसा देगी और हम गुलामी में फंस गए। जो आए उन्होंने लूटा, जिन्होंने सोचा था। आये और हम पर हमला कर दिया। भाइयों। भले ही घटना छोटी थी। लेकिन इसका असर तीन हजार साल तक रहा।
मैं आज इसका जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि भारत के वीरों ने देश की आजादी के लिए जबरदस्त संघर्ष किया, बलिदान दिया। मां भारती बंधनों से मुक्त होने के लिए खड़ी हुई और देश की नारी शक्ति की तरह न जाने कितने लोग देश के लिए खड़े हुए। मोदी ने कहा, ‘देश की युवा शक्ति, देश के किसान, देश के मजदूर… अनेक लोग बलिदान देने के लिए तैयार थे। केवल एक सेना तैयार थी। वह देश की आजादी के लिए लड़ रही थी।