विधानसभा में भी भाषा की गरिमा भूल रहे माननीय!

विधानसभा में भी भाषा की गरिमा भूल रहे माननीय!

In the assembly, forgotten dignity of the language, honorable!

Chhattisgarh assembly

असंसदीय भाषा पर देनी पड़ी शब्दों के सही इस्तेमाल की हिदायत

  •  धर्मजीत ने मंत्री डहरिया को कहा- विभाग में गांधी चल रहा
  •  विभागीय मंत्री ने भी बेधड़क कहा- गांधी सब जगह चल रहा
  •  चंद्राकर को डहरिया ने कहा- आप बीच में टपक जाते हैं
  •  सत्तापक्ष-विपक्ष की तीखी बहस पर अध्यक्ष महंत ने दोहा पढ़ा

सुकांत राजपूत

रायपुर। सूबे में सत्ता परिवर्तन हुए 7 माह होने को हैं। 15 साल सत्ता में रही भाजपा और विधानसभा चुनाव assembly election में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सरकार बनाई कांग्रेस के बीच अब भी विरोध सीमा पार हैं। हालाकि यह सियासी रिवाज भी है कि ताकतवर दल हमेशा दूसरे को आईना दिखाने के चक्कर में सारी हदें पार कर देता है। लेकिन, छत्तीसगढ़ विधानसभा chhattisgarh vidhansabha के सदन की परंपरा काफी उंची रही है। इसकी खास वजह है विधानसभा सदस्यों को बाकायदा सदनीय कार्रवाई के लिए कार्यशाला भी होती है। जिसमें सवाल पूछने, स्पीकर के अधिकार व सम्मान समेत नेताप्रतिपक्ष और सदन के नेता यानि मुख्यमंत्री की भूमिका के अलावा नए और वरिष्ठ विधायकों से संसदीय परंपराओं के तहत आचरण की नेक नसीहतें दी जाती हैं। बाकायदा नई सरकार के बजट सत्र से पूर्व ही विधानसभा vidhansabha में कार्यशाला में संदन के सभी रीति-रिवाजों पर तफसील से समझाईश दी गई। फिर भी बजट सत्र से लेकर विधानसभा के मानसून सत्र में चंद विधायकों के बीच जुबानी जंग में शब्द मनमौजी हो गए हैं। असंसदीय भाषा और आचरण का एक नमूना आज सदन में पेश हुआ। मजबूरन विधानसभा vidhansabha अध्यक्ष चरणदास महंत को हस्ताक्षेप करना पड़ा। स्पीकर रोकते, टोकते रहे और तल्ख टिप्पणी पर बोलते रहे पर उन्हें अनसुना कर दो वरिष्ठ विधायकों के बीच जुबानी जंग चलती रही।
मामला फैक्ट्रियों में हादसों और मौतों के बाद जांच कार्रवाई की व्यवस्था को लेकर किया गया था। नेताप्रतिक्ष धरमलाल कौशिक के सीधे सवाल का जवाब विभागीय मंत्री शिव डहरिया को देना था। मंत्री डहरिया ने सवाल पर नेताप्रतिपक्ष को कहा फैक्ट्री में कोई विस्फोटक नहीं होता। ऐसे में पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर खड़े हुए और कह उठे वे प्रुफ कर सकते हैं कि फैक्ट्रियों मेंं भी विस्फोटक होता है नेताप्रतिक्ष से जरा शालीनता से बोलें। चंद्राकर की इस आपत्ति के बाद मंत्री शिव डहरिय खफा हो गए और डहरिय ने चंद्राकर से कहा आपसे ज्यादा शालीन शब्दों में बात करता हूं। शिव डहरिया ने अजय चंद्राकर से कहा- आप बीच में टपक जाते है मंत्री का जवाब तो सुन लीजिए। बस फिर क्या था दोनों के बीच तीखी बहस छिड़ गई और हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई। बता दें कि इससे पहले विधायक धर्मजीत सिंह ने भी इशारों ही इशारों में मंत्री डहरिया को कहा था आपके विभाग में तो सिर्फ गांधी ही चल रहा है, जरा ध्यान दीजिए। इसके जवाब में श्री डहरिया ने तपाक से कहा गांधी देश-विदेश और हर जगह चल रहा है। गांधी अब जरुरी भी है। दोनों की सदन में इस तरह के संवाद से जिस गांधी की बात कही जा रही थी वह सुनकर भी सब चौंक गए थे।
आकिरकार हंगामे को शांत करने के लिए स्पीकर बार बार गुजारिश करते रहे, नेताप्रतिपक्ष भी बोलने खड़े हुए पर सत्तापक्ष-विपक्ष के दो जिम्मेदारों के बीच साथी विधायक भी हल्ला करते रहे। मजबूरन नेताप्रतिपक्ष खामोश हो बैठ गए और विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने दखल दे कर कहा। शब्द संभारे बोलिए शब्द के हाथ ना पांव, एक शब्द करे औषधि एक शब्द करे घाव। अध्यक्ष ने सदस्यों से सही शब्द के इस्तेमाल करने का अनुरोध किया। विदित हो कि आज सदन की कार्रवाई चल रही थी तब सदस्य का फोन भी लगातार बज रहा था। आखिरकार आदर्श सदस्य बनने के लिए और मोबाइल को साइलेंट करने की भी नसीहत स्पीकर को देना पड़ा।

सदन के ये हैं प्रमुख नियम

  •  स्पीकर की कमान मानना, आसंदी के खड़े होने पर शांत हो जाना
  •  नेताप्रतिपक्ष के खड़े होने पर सदस्यों को बोलने का पहले मौका देना
  •  सवाल-जवाब देने वाले सदस्यों के बीच टीका-टिप्पणी नहीं करना
  •  सदन में असंसदीय भाषा का प्रयोग नहीं करना
  •  मंत्री जब सवालों का जवाब दे रहा है तो उसके बोलने के बाद ही बोलना
  •  सदन में मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करना व साइलेंट में रखना

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