IIM Raipur Rural Event : IIM रायपुर से गूंजा ग्रामीण भारत का नया स्वर…गांवों से निकलेगा हरित क्रांति का रोडमैप…

IIM Raipur Rural Event : IIM रायपुर से गूंजा ग्रामीण भारत का नया स्वर…गांवों से निकलेगा हरित क्रांति का रोडमैप…

IIM Raipur Rural Event

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IIM Raipur Rural Event : ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया (TRI) द्वारा आयोजित इंडिया रूरल कॉलोक्वी (India Rural Colloquy)के पांचवें संस्करण का छत्तीसगढ़ चैप्टर आज भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) रायपुर में संपन्न हुआ। इस वर्ष का प्रमुख विषय था – “हरित अर्थव्यवस्था: गांव-नेतृत्व वाला हरित आर्थिक परिवर्तन”। इस कार्यक्रम ने टिकाऊ और पारिस्थितिक विकास में ग्रामीण भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया, और ज़मीनी भागीदारी से उत्पन्न नवाचारों पर ज़ोर दिया।

IIM रायपुर के डीन डॉ. सरोज कुमार पानी ने संवाद का उद्घाटन करते हुए इसे छत्तीसगढ़ की हरित अर्थव्यवस्था यात्रा में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने राज्य के लिए पांच प्राथमिक क्षेत्र बताए: कृषि वानिकी, हरित रोजगार, स्वच्छ ऊर्जा, सामुदायिक भागीदारी, और नीति सुधार — जो राज्य के सतत विकास रोडमैप के प्रमुख स्तंभ हैं।

TRI के एसोसिएट डायरेक्टर  श्रिश कल्याणी ने छत्तीसगढ़(IIM Raipur Rural Event) की समृद्ध वन संपदा और सामुदायिक परंपराओं को राज्य की ताकत बताते हुए इसे हरित क्रांति का नेतृत्वकर्ता कहा । उन्होंने विकास को स्थायी बनाने के लिए स्थानीय समुदायों को केंद्र में लाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

सामुदायिक प्रतिनिधियों- मिथुन पटेल, सरपंच शिवानी कश्यप, उद्यमी वंदना लोधी, जिला पंचायत सदस्य यशोदा कश्यप, सरपंच ज्योति साहू, मोती बंजारा और प्रगतिशील किसान सुमनी कश्यप — ने ज़मीनी चुनौतियों जैसे ग्रामीण पलायन, जल संरक्षण, प्रदूषण, पारंपरिक बीजों का ह्रास, और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अंतर को साझा किया।

छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री  विजय शर्मा ने वर्चुअल माध्यम से जुड़ते हुए TRI के हरित परिवर्तन विजन की सराहना की। उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ की 40% से अधिक भूमि घने सतपुड़ा वनों से आच्छादित है, जो राज्य को अद्वितीय प्राकृतिक संपदा प्रदान करती है। गांवों में उद्योग विकसित(IIM Raipur Rural Event)करते हुए शहरों के माध्यम से विपणन को बढ़ावा देना सतत विकास का सही मार्ग है।” उन्होंने पारंपरिक ढाँचों से आगे जाकर नवाचार-आधारित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव मती निहारिका बारिक सिंह ने कहा, “हरित अर्थव्यवस्था एक जन-आधारित प्रक्रिया है।” उन्होंने बताया कि अब गांवों में विकास का मूल्यांकन जल की उपलब्धता, स्वच्छता और हरियाली के आधार पर होगा। “मोर गांव मोर पानी” जैसी पहलें ग्रामीण सततता में क्रांति ला रही हैं।

विभागीय सचिव  भीम सिंह ने पंचायती राज संस्थाओं को हरित अर्थव्यवस्था के वास्तविक संरक्षक बताते हुए विकेंद्रीकरण और समुदाय की भूमिका को और मज़बूत करने की बात कही।

माननीय मुख्यमंत्री के सचिव  राहुल भगत ने अपने मुख्य भाषण में कहा, “अब यह केवल सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है – परिवर्तन हम सभी की साझी ज़िम्मेदारी है। हमें मानसिक रूप से इस अनिवार्य परिवर्तन को अपनाने के लिए तैयार रहना होगा।”

तकनीकी सत्रों में अनेक प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया – मयंक अग्रवाल (संयुक्त सचिव, गुड गवर्नेंस एवं कन्वर्जेंस विभाग), आदित्य मल्होत्रा (CEEW), तनमय मुखर्जी (Rainmatter), सौरभ चंद्रा (NDMC), नीरजा कुदरीमोती (TRI की एसोसिएट डायरेक्टर, क्लाइमेट एक्शन), अरुण कुमार पांडे (प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग), और ऋचा शर्मा (अपर मुख्य सचिव, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग)। इन सत्रों में छत्तीसगढ़ की हरित क्षमता, जल प्रबंधन, समुदायों की भूमिका, और नीतिगत नवाचारों पर चर्चा हुई।

दिन का एक प्रमुख आकर्षण रहा राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र, वन विभाग और TRI के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर। यह साझेदारी राज्य की जलवायु परिवर्तन कार्य योजना को स्थानीय कार्यों में बदलने और नीतिगत ढांचे एवं सामुदायिक प्राथमिकताओं के बीच सेतु का कार्य करेगी। इसमें लघु वन उत्पाद (NTFP), बांस आधारित उद्यमों, और इको-टूरिज्म जैसी हरित वैल्यू चेन पर फोकस किया जाएगा।

IIM रायपुर के निदेशक डॉ. संजीव पराशर ने समापन भाषण में कहा कि छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धि और समुदायों की प्रतिबद्धता इसे भारत के हरित परिवर्तन का अग्रणी राज्य बनाती है।

इंडिया रूरल कॉलोक्वी के बारे में:

इंडिया रूरल कॉलोक्वी, ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया (TRI) का प्रमुख कार्यक्रम है, जो इस वर्ष अपना पांचवां संस्करण मना रहा है। इसकी शुरुआत एक वर्चुअल सीरीज़ के रूप में हुई थी और अब यह एक बहु-राज्यीय, जमीनी स्तर पर जुड़ाव वाला आंदोलन बन चुका है। इस वर्ष, संवाद का आयोजन मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और दिल्ली में अगस्त क्रांति सप्ताह के दौरान हो रहा है।

इन क्षेत्रों से प्राप्त प्रमुख विचारों को कार्य रूप में बदला जाएगा, जो भारत के ग्रामीण पुनर्जागरण की दिशा में एक रोडमैप तैयार करेगा।

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