शिक्षा में छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को नजर अंदाज करना दुर्भावनापूर्ण : त्रिवेदी
–Chhattisgarh in education: राज्यों में शिक्षा के मूल्यांकन का केंद्र सरकार का आधार त्रुटिपूर्ण
-भाजपा सरकार ने तो शिक्षा के क्षेत्र में बेहद कमजोर बुनियाद की विरासत दी है
रायपुर/नवप्रदेश। Chhattisgarh in education: प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की 15 साल की सरकार की विरासत शिक्षा में कमजोर बुनियाद की है। भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ में शिक्षा की जो दुरावस्था की है, उसे ठीक करने के लिये कांग्रेस सरकार को दुगुनी मेहनत करनी पड़ रही है।
15 साल के भाजपा के कुशासन के बाद स्कूलों में शिक्षक (Chhattisgarh in education) नहीं, व्याख्याता नहीं। 65 प्रतिशत बच्चे किताब भी नहीं पढ़ पा रहे हैं और दूसरी कक्षा के बच्चों को अक्षर ज्ञान तक नहीं होने की स्थिति थी। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि शिक्षा में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की कम समय में प्राप्त महत्वपूर्ण उपलब्धियों को नजर अंदाज करना दुर्भावनापूर्ण है।
भाजपा शासन के शिक्षा (Chhattisgarh in education) में 15 साल के काले अध्याय के ठीक विपरीत कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू किए गए हैं। 130 बंद पड़े स्कूल शिक्षकों की व्यवस्था करके शुरू किये गये है। 2 लाख शिक्षाकर्मियों का नियमितीकरण कांग्रेस सरकार ने किया जिसे रमन सिंह सरकार ने 15 साल से लंबित रखा था।
15 साल रमन सिंह सरकार ने एक भी शिक्षक की भर्ती नहीं की लेकिन कांग्रेस सरकार ने 14000 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया आरंभ की। कोविड-19 और स्कूल ना खुल पाने के कारण यह भर्ती प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाई है लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस सरकार पूरी तरह से गंभीर है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पढ़ई तुहर द्वार मोहल्ला क्लासेस ऑनलाइन क्लासेस का कोई रेफरेंस इस मूल्यांकन में नहीं लिया गया जबकि स्वयं नीति आयोग और प्रधानमंत्री मोदी इस पहल को लेकर छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग की प्रशंसा कर चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि राज्यों में शिक्षा की स्थिति के इस मूल्यांकन का यह बिंदु भी पूरी तरीके से गलत और त्रुटिपूर्ण है कि छत्तीसगढ़ में स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति कम हो गई है और देश के अन्य राज्यों में कम नहीं हुई है जबकि कोविड के कारण छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश के स्कूल बंद हैं।
उपस्थिति कम होने के आधार बनाकर छत्तीसगढ़ का कमतर मूल्यांकन करना पूरी तरह से गलत है। यह सारे तथ्य इस बात का जीताजागता सबूत है कि शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को नजरअंदाज कर दुर्भावनापूर्ण मूल्यांकन किया गया है।
केन्द्र सरकार द्वारा शिक्षा के मामले में राज्यों को इस मूल्यांकन में डाटा एंट्री की भी गंभीर गड़बडिय़ां हैं जैसे छत्तीसगढ़ में टॉयलेट की संख्या पिछले साल से कम दर्शाई गई है। छत्तीसगढ़ पुस्तकालयों और प्रयोगशालाओं की संख्या भी कम होना बताया गया है जो कि सही नहीं है। यह संभव ही नहीं है कि यह संख्यायें कम हो। यह संख्या या तो बढ़ीं है या यथावत है।