द्वारका कितनी प्राचीन है? इसका पता लगाने के लिए एएसआई ने समुद्र के नीचे चलाया विशेष अभियान

Dwarka Temple
द्वारका। Dwarka Temple: 2005 से 2007 तक, एएसआई ने द्वारका और द्वारका द्वीप के समुद्र तट के भीतर और आसपास खुदाई की। इसमें कई ऐतिहासिक वस्तुएं मिली हैं। भारत के सबसे पुराने और अनोखे शहरों में से एक द्वारका की पुन: खोज की जा रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने एक नया अभियान शुरू किया है।

इस अभियान के तहत वे यह पता लगाना चाहते हैं कि यहां जो चीजें मिली हैं, वे कितनी पुरानी हैं। इसके लिए वे मिट्टी, समुद्र के नीचे पाई जाने वाली चीजों और खुदाई के दौरान मिली चीजों की वैज्ञानिक जांच कर रहे हैं। एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। रिपोर्ट के अनुसार, एएसआई के अंडरवाटर विभाग की अंडरवाटर आर्कियोलॉजी विंग की नौ सदस्यीय टीम इस अभियान को अंजाम दे रही है।

टीम गुजरात के द्वारका और द्वारका द्वीप के तट और समुद्र में खोज (Dwarka Temple) कर रही है। उनका उद्देश्य डूबी हुई वस्तुओं को ढूंढना, उनकी तस्वीरें लेना, उन्हें संरक्षित करना और उनका वैज्ञानिक अध्ययन करना है। द्वारका द्वीप एक छोटा सा द्वीप है, जो गुजरात के समुद्र में स्थित है। भगवान कृष्ण का घर यहीं था। यहां द्वारकाधीश मंदिर भी है।

इस वर्ष फरवरी में एएसआई की पांच सदस्यीय टीम ने द्वारका में गोमती खाड़ी नामक स्थान पर सर्वेक्षण किया था। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य पहले से उत्खनित स्थलों की वर्तमान स्थिति का आकलन करना था। इसके अलावा, हमें यह भी तय करना था कि आगे कहां खुदाई करनी है। टीम ने घटनास्थल की गहन तलाशी ली तथा आवश्यक तस्वीरें भी लीं।

एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी इस पूरी परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा द्वारका ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है। द्वारका हमेशा से शोध का विषय रहा है। इसका उल्लेख प्राचीन साहित्य में मिलता है। यह भारत के सांस्कृतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। द्वारका के महत्व को ध्यान में रखते हुए इतिहासकारों और पुरातत्वविदों ने अतीत में भी अन्वेषण और अनुसंधान किया है।

2005 से 2007 तक, एएसआई ने द्वारका और द्वारका द्वीप के अंतर्देशीय और तटीय दोनों स्थानों पर खुदाई की। खुदाई के दौरान प्राचीन मूर्तियाँ, पत्थर के हल और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएँ मिलीं। 26 परतों वाले लगभग 10 मीटर जमाव का उत्खनन किया गया। इस छोटे से उत्खनन में लोहे की वस्तुएं, मोती, तांबे की वस्तुएं, अंगूठियां आदि के अवशेष मिले। इसके अलावा, खुदाई के दौरान मिले मिट्टी के बर्तनों की भी जांच और अध्ययन किया गया।

अब एएसआई टीम ने अपने कार्य का दायरा बढ़ा दिया है। वे अब ओखामंडल शहर के आसपास भी खोज कर रहे हैं। प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि अब ऐसे और स्थलों की पहचान की जा रही है जहां खुदाई की जा सकती है। इसके लिए समुद्र में गोता लगाया जाएगा। समुद्र में पाई जाने वाली वस्तुओं को साफ किया जाएगा। इसके अलावा सब कुछ एक दस्तावेज के रूप में दर्ज किया जाएगा। इसके बाद उनका वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाएगा।