HMPV वायरस: चीन में फैले एचएमपीवी वायरस का पहला मामला भारत में मिला…
-भारत में एचएमपीवी का पहला मामला
बेंगलुरु। HMPV Virus in india: 2020 में दुनिया भर में फैली कोरोना महामारी के बाद चीन एक और खतरनाक वायरस की चपेट में आ गया है। चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) ने कहर बरपा रखा है। इस वायरस ने नागरिकों में डर फैला दिया है। इस बीच चीन से ये वायरस भारत भी पहुंच गया है। इस वायरस का पहला मरीज बेंगलुरु में मिला है।
बेंगलुरु के एक अस्पताल में आठ महीने की बच्ची में एचएमपीवी वायरस (HMPV Virus india) पाया गया है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि हमने अपनी लैब में इसका परीक्षण नहीं किया है। हालांकि इस मामले की रिपोर्ट एक निजी अस्पताल में आई है। निजी अस्पताल की इस रिपोर्ट पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।
इस बीच एचएमपीवी आमतौर पर केवल छोटे बच्चों में पाया जाता है। सभी फ्लू नमूनों में से 0.7 प्रतिशत में एचएमपीवी होता है। साथ ही इस वायरस का स्ट्रेन क्या है? ये अभी तक समझ में नहीं आया है। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सतर्कता और सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन करने का आह्वान किया है। साथ ही लोगों को हाथ धोने, मास्क लगाने और अन्य सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है।
एचएमपीवी वायरस (HMPV Virus in india) से डरें नहीं। श्वसन तंत्र की यह बीमारी सर्दी, खांसी, बुखार का कारण बनती है, यह छींकने और खांसने से ही फैलती है लेकिन यह कोरोना जितनी खतरनाक नहीं है। इसे केवल 2001 में अलग किया गया और अध्ययन किया गया। चीन, जापान, अमेरिका, कनाडा में मिल चुके हैं मरीज भारत में लंबे समय से कोई प्रभावित मरीज नहीं मिला है।
यह वायरस नया नहीं है, घबराएं नहीं-डॉ. अविनाश भोंडवे
एचएमपीवी वायरस नया नहीं है, घबराएं नहीं, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (महाराष्ट्र) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अविनाश भोंडवे ने नागरिकों से कहा है कि श्वसन तंत्र की यह बीमारी सर्दी, खांसी, बुखार का कारण बनती है, यह छींकने और खांसने से ही फैलती है। लेकिन ये कोरोना जितना खतरनाक नहीं है। इसे केवल 2001 में अलग किया गया और अध्ययन किया गया। चीन, जापान, अमेरिका, कनाडा में इसके मरीज मिल चुके हैं। डॉ. ने यह भी कहा कि भारत में इसका कोई भी प्रभावित मरीज नहीं पाया गया है।
एचएमपीवी वायरस क्या है?
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) एक आरएनए वायरस है, जो न्यूमोविरिडे परिवार से संबंधित है। इसकी खोज सबसे पहले 2001 में डच शोधकर्ताओं ने की थी। यह वायरस मुख्य रूप से श्वसन संक्रमण का कारण बनता है और खांसने या छींकने से फैलता है। यह संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से भी तेजी से फैल सकता है। इसकी संक्रामक अवधि 3 से 5 दिन की होती है और यह सर्दियों में सबसे आम है।