Hindu Organizations : तरूण विजय के मुस्लिम प्रेम से हिन्दू विरासतों को खतरा |

Hindu Organizations : तरूण विजय के मुस्लिम प्रेम से हिन्दू विरासतों को खतरा

Hindu Organizations: Tarun Vijay's Muslim love threatens Hindu heritage

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विष्णुगुप्त। Hindu Organizations : भाजपा के पूर्व सांसद और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरूण विजय को लेकर हिन्दू संगठनों में खतरनाक प्रतिक्रिया देखी जा रही है। तरूण विजय के मुस्लिम प्रेम को लेकर हिन्दू संगठनों की गोलबंदी जारी है। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि तरूण विजय मुस्लिम एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं और राष्ट्रीय स्मारकों का मुस्लिम करण कर रहे हैं। एक तरफ मोदी, शाह, योगी और हेमंता जहां पुरातन संस्कृति और सभ्यता को आगे बढ़ा रहे हैं वहीं तरूण विजय जैसे लोग मुस्लिम एजेंडा को आगे कर भाजपा की कब्र खोदने में लगे हैं। इसका ताजा उदाहरण कुतुब मीनार प्रकरण है।

कुतुब मीनार जितना बड़ा है उतनी ही गहरा हिन्दुओं का बलिदान है। कुतुब मीनार हिन्दू मंदिर को दफन कर बनाया गया जहां पर हिन्दू देवी-देवताओं का अवशेष आज भी है। मीनार परिधि में भगवान गणेश की दो मूर्तियां हैं जो अति प्राचीन काल की हैं। हिन्दू हमेशा से यह मांग करते रहे हैं कि कुतुब मीनार को मंदिर घोषित किया जाना चाहिए। लेकिन यह मांग हमेशा से अस्वीकार की जाती रही है। 12 वीं शताब्दी में राजा अनंगपाल द्वारा बनायी गयी 27 हिन्दू और जैन मंदिरों के अस्तित्व पर कुतुब मीनार खड़ा है।

कुतुब मीनार मस्जिद में तब्दील हो चुका है। यहां पर नमाज होती है। कुतुब मीनार में हिन्दू पूजा नहीं कर सकते हैं पर मुस्लिम नमाज जरूर पढ़ सकते हैं और अन्य गतिविधियां भी जारी रख सकते हैं। नमाज के अलावा भी वहां पर कई गतिविधियां होती हैं। कुतुब मीनार मेट्रों लाइन के बीच में आने वाला था पर कुतुब मीनार और सुनहरी मस्जिद को बचाने के लिए मेट्रों लाइन की दिशा बदल दी गयी। जबकि मेट्रों लाइन बनाने में दर्जनों हिन्दू देवी-देवताओं और प्रेरणा स्थलों को तहस-नहस कर दिया गया था।

अब भाजपा के नेता, पूर्व सांसद और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरूण विजय भगवान गणेश की मूर्तियों को हटवाना चाहते हैं और राष्ट्रीय संग्रहालय में इन मूर्तियों को रखवाना चाहते हैं। इसके लिए अपमान का हथकंडा बनाया है। उनका कहना है कि नमाज पढऩे वाले लोग श्रीगणेश भगवान की मूर्तियों का अपमान करते हैं। इसलिए गणेश भगवान की मूर्तियों को राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा जाना चाहिए।

तरूण विजय किसकी इच्छा पूरी करना चाहते हैं, तरूण विजय क्या कट्टरपंथी मुसलमानों की इच्छाओं के अनुसार ही श्रीगणेश भगवान की मूर्तियों को हटवाना चाहते हैं? हिन्दू प्रतीकों को कुतुब मीनार से बाहर करने की मांग कट्टरपंथी मुसलमानों की थी। इसके लिए कट्टरपंथी मुसलमान हमेशा अभियानी रहते हैं।

तरूण विजय अगर भगवान श्रीगणेश के प्रति थोड़ा सा भी हमदर्दी रखते तो फिर राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में भगवान (Hindu Organizations) श्रीगणेश की मूर्तियों का अपमान बंद कराने की कोशिश करते और भगवान श्रीगणेश की मूर्तियों का अपमान करने वाले नमाजियों पर मुकदमा दर्ज कराने की वीरता दिखाते। नमाजी अगर हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करते हैं, हिंसा करते हैं तो फिर उन पर मुकदमा क्यों नहीं दर्ज होना चाहिए। आयातित संस्कृति के शासनकाल के दौरान के जितने भी स्मारक हैं उन पर कट्टरपंथी मुसलमानों का कब्जा है।

तरूण विजय से यह पूछा जाना चाहिए कि जिन स्मारकों पर राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण का नियंत्रण और अधिकार है उन स्मारकों को एक मस्जिद के तौर पर उपयोग करने की छूट क्यों मिली हुई है। कुतुब मीनार में हिन्दुओ को गणेश उत्सव की अनुमति क्यों नहीं मिलती है? तरूण विजय कौन हैं? क्या इनका कोई इस्लामिक एजेडा है? तरूण विजय ऐेसे तो भाजपा का पूर्व सांसद है और वह पांचजन्य नामक मैगजीन का संपादक रह चुका है।

पर उसका एक एजेंडा इस्लामिक प्रसार का भी है जिस पर प्रश्न चिन्ह लगते रहे हैं। ये विवादास्पद भी कम नहीं है। एक बार इन्होंने अपने टिवटर पर राहुल गांधी की प्रशंसा बार-बार की थी। जब हंगामा हुआ तब उन्होंने कह दिया था कि उनका टिवटर एकांउट नौकर हैंडिल कर रहा था। जिस पत्रकार का टिवटर एकांउट नौकर हैंडिल करता हो, उसका वैचारिक स्तर समझा जा सकता है?

एक मुस्लिम लड़की से संबंधित तरूण विजय का प्रकरण भी कुचर्चित रहा था। भोपाल की शेहला मसूद नाम की मुस्लिम लड़की के साथ तरूण विजय के रंगरैलियां राजनीतिक हलकों को गर्म कर दी थी। तरूण विजय ने शेहला दिल्ली से लेकर यूरोप तक रंगरैलियां बनायी थी। शेहला मसूद के एनजीओ को तरूण विजय ने लाभ दिया था। शलेला मसूद को लेकर यूरोप में तरूण विजय घूमे थे। प्रेम त्रिकोण में शेहला मसूद की हत्या हुई थी। सीबीआई ने शेहला मसूद की हत्या को लेकर तरूण विजय को भी रडार पर लिया था। पर तरूण विजय अपनी किस्मत के कारण बच गये थे। शहेला मसूद एक कट्टर मुस्लिम थी। तरूण विजय को इस्लाम के प्रति झुकाव के पीछे शेहला मसूद की प्रेरणा और रंगरेलिया मानी जाती है।

एक तरफ देश में मोदी, शाह, योगी और हेमंता हैं जो भारत को पुरातन संस्कृति और पहचान को दिलाने तथा संरक्षण करने में लगे हुए हैं तो दूसरी ओर तरूण विजय जैसे लोग भी हैं जो विश्व विख्यात स्मारकों से हिन्दू प्रतीक चिन्हों को हटवाने और मुस्लिम एजेंडा को बढ़ाने में लगे हुए हैं। एक प्रश्न यह भी उठता है कि तरूण विजय जैसे लोग सांसद कैसे बन जाते हैं और इन्हें राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष कैसे बना दिया जाता है? तरूण विजय की मुस्लिम पक्षधर नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छबि भी खराब होती है। अब गैर सरकारी हिन्दू संगठनों की जिम्मेदारी बढ गयी है। पर उनके पास न तो पैसे हैं और न ही संसाधन है। गैर सरकारी हिन्दू संगठन लडें तो कैसे?

इसके अलावा कोर्ट और सरकार की जेल में डालों नीति भी सामने हैं। अगर गैर सरकारी हिन्दू संगठन (Hindu Organizations) के लोग कुतुब मीनार से श्रीगणेश भगवान की मूतियों के सरंक्षण की बात करेंगे तो फिर उन्हें जेल में डाला जायेगा। क्या यह सही नहीं है कि हिन्दू संगठन के कई महात्मा-संत जेलों में ठूस दिये गये जबकि वैसा ही गुनाह करने वाले मुल्ला-मौलवी और सेक्यूलर लोग छूटा घूम नहीं रहे हैं क्या? फिर भी गैर सरकारी हिन्दू संगठनों को तरूण विजय का दिमाग ठीक करने और उसकी हिन्दू विरोधी मानसिकता को जमींदोज करने के लिए आगे आना ही होगा।

किसी भी परिस्थिति में कुतुब मीनार से श्रीगणेश भगवान की मूर्तियां नहीं हटनी चाहिए और कुतुब मीनार में नमाज को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, कुतुब मीनार को मस्जिद के रूप में उपयोग करने की स्वीकृति बंद होनी चाहिए।

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