संपादकीय: उत्तरप्रदेेश की राह पर हिमाचल प्रदेश
Himachal Pradesh on the path of Uttar Pradesh: हिमाचल प्रदेश की कांग्रेसी सरकार पे भी उत्तरप्रदेश की तरह ही अपने राज्य में भी खाने पीने की वस्तु बेचने वालो के लिए उनकी पहचान बताने का नियम लागू कर दिया है। इससे नया बवाल खड़ा हो गया है।
यहां तक की कांग्रेस के ही कई नेता हिमाचल प्रदेश सरकार के इस फैसले पर सवालिया निशान लगा रहे है। छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांगेस के वरिष्ठ टी एस सिंह देव ने हिमाचल प्रदेश सरकार के फैसले को गलत बताया है। हिमाचल प्रदेश में ही कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नेता अपनी ही सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे है।
आईएनडीआईए में शामिल अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता भी पसोपेश में पड़ गये है। गौरतलब है कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता उत्तरप्रदेश सरकार के ऐसे निर्णय का लगातार विरोध करते रहे है।
वही योगी मॉडल कांग्रेसशासित हिमाचल प्रदेश में लागू हो जाने से वे समझ नहीं पा रहे है की किस मुंह से इसका विरोध करें। गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश में खाने पीनी की चीजों में थूक और यूरीन मिलाए जाने की घटनाओं को देखते हुए
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि बहुत ही विभत्स है जो हमें स्वीकार नहीं है। योगी सरकार ने 24 को एक आदेश जारी कर खाने पीने की सभी दुकानों होटल और ढाबो में दुकानदार का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया है।
यही बल्कि हर रेस्टोरेन्ट में सीसीटीवी केमरे लगाने तथा होटल कर्मचारियों के लिए मास्क व ग्लफज पहनना भी अनिवार्य कर दिया है। इन होटल ढाबों में काम करने वाले कर्मचारियों की पुलिस वेरिफीकेशन कराने के भी निर्देश दे दिये है।
योगी सरकार के इस फैसले का कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया था किन्तु इसी बीच हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी ऐसा नियम बनाकर उन्हें असमंजस में डाल दिया है।
उल्लेखनीय है कि इसी साल जुलाई माह में कांवर यात्रा के दौरान खाने पीने की चीजों की शुद्धता को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने कांवड़ रूट पर खाने पीने की सभी दुकानों के संचालकों का नाम प्रर्दर्शित करने के आदेश दिये थे।
उस समय भी विपक्षी पार्टियों ने इसका जमकर विरोध किया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अभी तक विचाराधी है जिसपर फैसला आना बाकी है। किन्तु एक बार फिर योगी सरकार ने अब पूरे उत्तरप्रदेश में यह नियम लागू कर दिया है।
जाहिर है इसके खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा और हो सकता है कि इसपर भी रोक लगाने का आदेश जारी हो जाए। इस बारे में उत्तरप्रदेश सरकार का तर्क है कि उसने कोई नया कानून नहीं बनाया है।
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में यह प्रावधान है कि किसी भी दुकानदार को अपना नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ ही अन्य जानकारियां प्रदर्शित करनी होगी ताकि उपभोक्ता को यह पता चले की वह किससे क्या खरीद रहा है।
प्रत्येक उपभोक्ता को यह जानने का अधिकर है। इसलिए इसे लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कायदे से तो खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम को पूरे देश में कड़ाई पूर्वक लागू कराने के लिए केन्द्र सरकार को कारगर पहल करनी चाहिए ताकि लोगो को शुद्ध खाने पीने की चीजें उपलब्ध और इसे लेकर अप्रिय घटनाएं न हो पाएं।