परसा कोल ब्लाॅक भूमि अधिग्रहण मामले में कब्जा लेने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक |

परसा कोल ब्लाॅक भूमि अधिग्रहण मामले में कब्जा लेने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

High Court bans taking possession in Parsa coal block land acquisition case

Parsa Coal Block

8 जनवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई

बिलासपुर/नवप्रदेश। Parsa Coal Block : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी और जस्टिस एन.के चन्द्रवंशी की खण्ड पीठ ने परसा कोल ब्लाॅक भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। इस दौरान बेंच ने केन्द्र और राज्य सरकार को मामले की अगली सुनवाई तक याचिका कर्ताओं की भूमि पर यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश दिये है।

गौरतलब है कि सरगुजा और सुरजपुर स्थित परसा कोल ब्लाॅक के भूमि अधिग्रहण को हरिहरपुर साल्ही और फतेपुर गांव के निवासी मंगल साय, ठाकुर राम, आनंद राम, पनिक राम और मोतीराम ने याचिका लगाकर चुनौती दी थी। इस मामले में 9 अप्रैल 2021 को राज्य शासन और केन्द्र सरकार पर नोटिस तामील हो चुका था परन्तु सोमवार को सुनवाई होने के दौरान तक केन्द्र सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया। जबकि बीते 27 अक्टूबर की अन्तिम सुनवाई में उन्हें 6 सप्ताह का समय अन्तिम रूप से दिया गया था।

सरगुजा क्षेत्र में स्थित परसा को ब्लाॅक (Parsa Coal Block) में लगभग 1250 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है। इसमें लगभग एक तिहाई भुमि आदिवासी किसानों की लगानी भूमि है। शेष दो तिहाई भूमि घना जंगल है। जो हाथी प्रभावित होने के साथ-साथ निस्तारी और लघुवनोपज के लिये आस-पास के सभी गांव के काम आता है। इस अधिग्रहण के लिये कोल बेयरिंग एरिया एक्ट 1957 का प्रयोग किया गया है, जबकि पिछले 60 सालों में में यह एक्ट केवल एसईसीएल जैसी केन्द्र सरकार की कम्पनी के लिये उपयोग किया जाता रहा है।

इस मामले में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के हित में इस एक्ट का प्रयोग करने को चुनौती दी गई है और यह भी बताया गया है कि राजस्थान निगम ने परसा कोल ब्लाॅक को अडानी के स्वामित्व वाली कंपनी कोे खनन के लिये सौपे जाने का अनुबंध कर रखा है अर्थात् यह भूमि अधिग्रहण निजी कम्पनी के हित में है जिसके लिये कोल बेयरिंग एक्ट का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

इसके साथ-साथ याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया है के अधिग्रहण (Parsa Coal Block) से संबंधित धारा 4 एवं धारा 7 की अधिसूचनाएं प्रभावित व्यक्तिओं को समय रहते उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बावजूद प्रभावित व्यक्तियों के द्वारा जो आपत्तियां कोल कंट्रोलर को भेजी गई उसमें न तो सुनवाई का अवसर दिया गया और नहीं उनकी आपत्तियों का निराकरण किया गया। 2006 में वन अधिकार कानून और 1996 में पेसा एक्ट लागू हो जाने के बाद अनुसूचि पांच क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के पूर्व आवश्यक ग्राम सभाओं के नकली प्रस्ताव बनाकर भूमि अधिग्रहण प्रकरण में लगाये गये है जबकि ग्राम सभाएं इसके विरोध में है। लगातार कई ज्ञापन देकर प्रभावित व्यक्तियों ने फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताओं की जांच की मांग कलेक्टर और मुख्यमंत्री से की है। परन्तु इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

गौरतलब है कि हाल ही में आदिवासियों की एक बड़ी पद यात्रा सरगूजा क्षेत्र से रायपुर तक की गई थी और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने परसा कोल ब्लाॅक के लिये फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताओं बनाने की शिकायतों पर संज्ञान लेकर उन्हें राज्य सरकार तक भेजा था।

आज राज्य सरकार के द्वारा उत्तर प्रस्तुत कर दिया गया है और मामले (Parsa Coal Block) की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। मामले में याचिकाकताओं की पैरवी अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव, संदीप दुबे और आलोक ऋषि कर रहे है। वही केन्द्र सरकार की ओर से ए.एस.जी रमाकांत मिश्रा, राज्य सरकार की ओर से डिप्टी ए.जी. सुदीप अग्रवाल और राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम एवं अडानी कम्पनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डाॅ. निर्मल शुक्ला और अधिवक्ता शैलेंद्र शुक्ला तथा अर्जित तिवारी बहस कर रहे है।

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